Uzbekistan, India condemn Pahalgam terror attack in 9th meeting of India-Uzbekistan Joint Working Group
नई दिल्ली
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि आतंकवाद निरोध पर भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त कार्य समूह की 9वीं बैठक 30 सितंबर को ताशकंद में आयोजित की गई। बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आतंकवाद निरोध) विनोद जे बहाडे और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका सहयोग विभाग के प्रमुख गुलोमजोन पिरिमकुलोव ने की। दोनों पक्षों ने वैश्विक स्तर पर और अपने-अपने क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों द्वारा उत्पन्न खतरों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने आतंकवाद निरोध के समक्ष वर्तमान और उभरती चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिनमें उग्रवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को रोकना, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच गठजोड़ और आतंकवादियों की वैश्विक आवाजाही शामिल है।
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की निंदा की। दोनों पक्षों ने सूचना साझाकरण, क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से आतंकवाद-निरोध के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र, एससीओ-आरएटीएस और ईएजी सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक भारत में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित की जाएगी। उज़्बेकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास ने X पर एक पोस्ट में कहा, "भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद-निरोध पर संयुक्त कार्य समूह की 9वीं बैठक आज ताशकंद में आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करने में सहयोग पर चर्चा की।"
इससे पहले 16 जुलाई, 2019 को, आतंकवाद-निरोध पर भारत-उज़्बेकिस्तान संयुक्त कार्य समूह की 8वीं बैठक दिल्ली में आयोजित की गई थी। बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आतंकवाद-रोधी) महावीर सिंघवी और उज़्बेकिस्तान के राजदूत फरहोद अज़रीव ने की।
संयुक्त कार्य समूह ने दुनिया भर में और अपने-अपने क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों द्वारा उत्पन्न खतरों, जिनमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है, की समीक्षा की। उन्होंने कट्टरपंथ का मुकाबला करने, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट के उपयोग को रोकने और विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की वापसी सहित वर्तमान आतंकवाद-रोधी चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।