आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जुड़वां बच्चों का जन्म पहले दुर्लभ घटना माना जाता था लेकिन महाराष्ट्र के बीड जिले के सिविल अस्पताल में पिछले नौ महीनों में 42 जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ है।
अस्पताल के लिए भी यह गर्व का विषय बन गया है क्योंकि प्रसूति वार्ड के कर्मचारियों ने सिजेरियन और प्राकृतिक प्रसव, दोनों का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया।
डॉक्टरों के अनुसार, सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी), जिसमें ‘इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन’ (आईवीएफ) शामिल है, और पारिवारिक इतिहास जुड़वां बच्चों के जन्म में वृद्धि का कारण बन रहे हैं।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में जुड़वां बच्चे होने की संभावना में मामूली वृद्धि हुई है।
बीड सिविल अस्पताल के ‘रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर’ (आरएमओ) डॉ. एल.आर. तंदले ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में जुड़वां और तीन बच्चों के जन्म की दर निश्चित रूप से बढ़ी है, और पिछले नौ महीनों में हमारे यहां 42 जुड़वां बच्चे पैदा हुए हैं।’’
उन्होंने कहा कि अस्पताल में एक विशेष चिकित्सा टीम है जो प्रसव के दौरान और उसके बाद माताओं तथा शिशुओं की व्यापक देखभाल करने के लिए समर्पित है।