इसरो के शीर्ष अधिकारी ने संप्रभु उपग्रह नेविगेशन समूह की वकालत की

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 02-12-2025
Top ISRO official pitches for sovereign satellite navigation constellation
Top ISRO official pitches for sovereign satellite navigation constellation

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 भारत में हवाई अड्डों पर ‘जीपीएस स्पूफिंग’ की घटनाओं की पृष्ठभूमि में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिका के ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी वैश्विक नेविगेशन प्रणाली की मंगलवार को जोरदार वकालत की।
 
‘जीपीएस स्पूफिंग’ का मतलब है- नेविगेशन प्रणालियों में इस तरह से हेरफेर करने का प्रयास कि वे गलत स्थिति, गति या समय दिखाएं।
 
जियोस्मार्ट इंडिया सम्मेलन और एक्सपो में एक संवादात्मक सत्र के दौरान इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक प्रकाश चौहान ने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए स्थिति निर्धारण, नेविगेशन और समय निर्धारण (पीएनटी) सेवाएं प्रदान करने के लिए संप्रभु उपग्रह समूह समय की मांग है।
 
भारत अपनी क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) का संचालन करता है, जिसके 11 उपग्रह हैं, जिनमें से केवल चार ही पूरी तरह से चालू हैं। अन्य चार उपग्रहों का उपयोग एकतरफा संदेश प्रसारण के लिए किया जा रहा है, एक को निष्क्रिय कर दिया गया है, और दो अपनी इच्छित कक्षा तक नहीं पहुंच पाए हैं।
 
चौहान ने कहा कि इसरो ने ‘नाविक’ प्रणाली को सुदृढ़ करने की योजना पहले ही तैयार कर ली है और अगले साल से नए उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाएगा।
 
कम से कम पांच देशों के पास अपनी पूरी तरह से कार्यशील नेविगेशन प्रणालियां हैं। इनमें अमेरिका का जीपीएस, रूस का ग्लोनास, यूरोपीय संघ का गैलीलियो, चीन का बेईदोउ और जापान का क्यूजेडएसएस शामिल है।