हैदराबाद:
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला "कामकाजी उर्दू पत्रकारों के लिए क्षमता निर्माण" के दूसरे दिन तकनीकी सत्रों ने आधुनिक युग में पत्रकारिता के विविध आयामों पर गहन विचार-विमर्श किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (NCPUL), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और MANUU के मास कम्युनिकेशन एवं जर्नलिज़्म विभाग के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
पहले सत्र में, हैदराबाद से द टाइम्स ऑफ इंडिया के इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट और संपादक सुधाकर रेड्डी उद्दुमुला ने फैक्ट चेकिंग पर चर्चा की। उन्होंने गलत सूचना, फेक न्यूज़ और डीपफेक जैसी चुनौतियों को उजागर किया और Google Lens, INVID, HIVE Moderation Detector और Wayback Machine जैसे एआई-पावर्ड फैक्ट-चेकिंग टूल्स का प्रदर्शन किया। विभाग के डीन और हेड प्रो. मोहम्मद फ़रियाद ने अतिथि का स्वागत किया।
दूसरे सत्र में, हैदराबाद से उर्दू साप्ताहिक गवाह के प्रधान संपादक डॉ. फ़ज़िल हुसैन परवेज़ ने उर्दू मीडिया की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उर्दू की डिजिटल उपस्थिति, ऑनलाइन मुशायरों के बढ़ते चलन, शिक्षा और विकास पर तुलनात्मक दृष्टिकोण, और तकनीक की भूमिका पर चर्चा की।
तीसरे सत्र में वरिष्ठ पत्रकार एम.ए. मजीद ने उर्दू मीडिया में स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास रिपोर्टिंग के विषय पर विस्तार से बताया। उन्होंने तेलंगाना के 11,000 करोड़ रुपये के स्वास्थ्य बजट, बीमारी फैलाव, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, कृषि रिपोर्टिंग और किफायती दवाओं जैसे मुद्दों को रेखांकित किया।
चौथे सत्र में, जनसंदेश टाइम्स, वाराणसी के पूर्व संपादक असद कमाल लारी ने संघर्ष, अपराध और समुदाय से जुड़े मामलों में रिपोर्टिंग में नैतिकता और संवेदनशीलता पर बात की। उन्होंने शब्दों के जिम्मेदार उपयोग, संघर्ष-संवेदनशील रिपोर्टिंग और सोशल मीडिया अभियानों के प्रभाव पर जोर दिया।
अंतिम सत्र में, प्रो. एहतेशाम अहमद खान ने डेटा पत्रकारिता पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि डेटा विज़ुअलाइज़ेशन और स्टोरीटेलिंग टूल्स आज के डिजिटल परिदृश्य में समाचार को अधिक सुलभ, विश्वसनीय और प्रभावशाली बना सकते हैं।
कार्यक्रम के सत्रों का संचालन MCJ विभाग के शोध विद्वानों नज़ाकत अली, नऊशाद, नुसरत परवीन, शहवाज़ खान और शाहिद पॉल ने किया।