भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी मजबूत; आरबीआई बुलेटिन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-09-2025
The Indian economy remains robust despite global uncertainties; RBI bulletin emphasizes growth, fintech, and UPI adoption
The Indian economy remains robust despite global uncertainties; RBI bulletin emphasizes growth, fintech, and UPI adoption

 

नई दिल्ली

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी सितंबर 2025 की बुलेटिन रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत ने पिछले पाँच तिमाहियों का सर्वाधिक विकास दर्ज किया, जिसमें घरेलू कारक प्रमुख सहायक रहे।

बुलेटिन के अनुसार, जहाँ एक ओर अमेरिका के व्यापार शुल्क और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में राजकोषीय दबाव जैसी वैश्विक चिंताएँ बनी रहीं, वहीं भारत घरेलू सुधारों से लाभान्वित होता रहा।

जीएसटी सुधार और मुद्रास्फीति पर स्थिति

आरबीआई ने कहा कि ऐतिहासिक जीएसटी सुधार लंबे समय में कारोबार करने में आसानी, खुदरा कीमतों में गिरावट और खपत आधारित विकास को गति देंगे।
खुदरा महंगाई (सीपीआई) में मामूली बढ़ोतरी हुई लेकिन लगातार सात महीने से यह लक्ष्य स्तर से नीचे बनी हुई है।

तरलता, बाजार और चालू खाता घाटा

रिपोर्ट के मुताबिक अधिशेष तरलता ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का बेहतर असर दिखाया। वहीं अगस्त-सितंबर के दौरान इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला।भारत का चालू खाता घाटा मजबूत सेवाओं के निर्यात और प्रेषण (रेमिटेंस) की वजह से कम हुआ।

क्रेडिट और फाइनेंशियल फ्लो

2024-25 में असुरक्षित ऋण पर सख्त नियमों के चलते गैर-खाद्य बैंक ऋण वृद्धि धीमी रही। हालांकि, इसकी भरपाई गैर-बैंक स्रोतों — जैसे इक्विटी इश्यू, एनबीएफसी कर्ज और अल्पकालिक बाहरी उधारी — से हुई। इस वजह से वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह बढ़ा और जीडीपी के अनुपात में बकाया ऋण की स्थिति बेहतर हुई।

फिनटेक ऐप्स का अध्ययन

आरबीआई ने 56.9 लाख फिनटेक ऐप समीक्षाओं का मशीन लर्निंग तकनीक से विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि समग्र रूप से उपभोक्ता अनुभव सकारात्मक है और 'भरोसा' व 'संतोष' प्रमुख भावनाएँ हैं। हालांकि, ग्राहक सहायता, ऐप की कार्यक्षमता और ऋण से जुड़े प्रोसेस पर चिंताएँ बनी हुई हैं। डेटा प्राइवेसी, मार्केट शेयर और लगातार अपडेट्स भी उपयोगकर्ता संतुष्टि को प्रभावित करते हैं।

एनबीएफसी सेक्टर की मजबूती

रिपोर्ट ने कहा कि खुदरा और औद्योगिक क्षेत्रों में क्रेडिट मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे एनबीएफसी वित्तीय रूप से मजबूत स्थिति में हैं। दिसंबर 2024 तक इनके प्रदर्शन संकेतकों में एसेट क्वालिटी, पूंजी पर्याप्तता और रिटर्न ऑन एसेट्स उल्लेखनीय रहे।
बुलेटिन में बताया गया कि एनबीएफसी का मुख्य फंडिंग स्रोत यानी उधारी, कुल देनदारियों का दो-तिहाई हिस्सा है और इसमें पिछले साल की तुलना में तेज़ी से वृद्धि दर्ज हुई।

यूपीआई और डिजिटल लेन-देन

आरबीआई बुलेटिन में कहा गया कि यूपीआई अपनाने से भारत के भुगतान तंत्र में संरचनात्मक बदलाव आया है। अध्ययन में पाया गया कि यूपीआई की बढ़ती पहुँच से नकदी की मांग में गिरावट आई है, चाहे राष्ट्रीय स्तर हो या राज्य स्तर।
हालांकि, आय स्तर और एटीएम घनत्व अधिक होने वाले क्षेत्रों में नकदी पर निर्भरता अधिक रही, जबकि शिक्षा और कार्यबल के औपचारिककरण ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया।

खपत और असमानता में कमी

बुलेटिन ने बताया कि घरेलू खपत में असमानता घटी है। गरीब राज्यों में प्रति व्यक्ति खर्च की वृद्धि दर अमीर राज्यों से तेज रही, जिससे राज्यों के बीच खपत का संतुलन बेहतर हुआ। 2022-23 की मूल्य दरों के अनुसार गरीबी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।

बुनियादी ढांचा और विकास

आरबीआई ने कहा कि पिछले एक दशक में भौतिक, सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे में लगातार निवेश ने भारत की जीडीपी वृद्धि को मजबूती दी है।