वंदे मातरम् के महत्वपूर्ण छंद 1937 में हटाए गए, विभाजनकारी मानसिकता अब भी चुनौती: प्रधानमंत्री मोदी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 07-11-2025
The important verses of Vande Mataram were removed in 1937; the divisive mindset still poses a challenge: Prime Minister Modi
The important verses of Vande Mataram were removed in 1937; the divisive mindset still poses a challenge: Prime Minister Modi

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर शुक्रवार को परोक्ष हमला करते हुए कहा कि 1937 में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के महत्वपूर्ण छंदों को हटा दिया गया था जिसने विभाजन के बीज बोये और ऐसी ‘‘विभाजनकारी मानसिकता’’ देश के लिए अब भी चुनौती है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक साल तक मनाए जाने वाले स्मरणोत्सव की शुरुआत करते हुए ये टिप्पणियां कीं। मोदी ने इस अवसर पर यहां इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
 
मोदी ने कहा, ‘‘वंदे मातरम् भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बन गया। इसने हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त किया। दुर्भाग्य से 1937 में वंदे मातरम् के महत्वपूर्ण छंदों को... उसकी आत्मा को निकाल दिया गया। वंदे मातरम् के विभाजन ने विभाजन के बीज भी बोये। आज की पीढ़ी को यह जानने की जरूरत है कि राष्ट्र निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ... यह विभाजनकारी मानसिकता देश के लिए आज भी एक चुनौती है।’’
 
प्रधानमंत्री ने ‘वंदे मातरम्’ को हर युग में प्रासंगिक बताते हुए ऑपरेशन सिंदूर का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘जब दुश्मन ने आतंकवाद का इस्तेमाल करके हमारी सुरक्षा और सम्मान पर हमला करने का दुस्साहस किया तो दुनिया ने देखा कि भारत दुर्गा का रूप धारण करना जानता है।’’
 
उन्होंने कहा कि आज जब देश ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे कर रहा है, तो यह ‘‘हमें नयी प्रेरणा देता है और देशवासियों को नयी ऊर्जा से भर देता’’ है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् एक शब्द है, एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। यह भारत माता के प्रति समर्पण है, भारत माता की आराधना है। यह हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है और हमारे भविष्य को नया साहस देता है। ऐसा कोई संकल्प नहीं है जिसे पूरा न किया जा सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जिसे हम भारतीय हासिल न कर सकें। हमें एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधार पर शीर्ष पर हो।’’
 
यह कार्यक्रम सात नवंबर 2025 से सात नवंबर 2026 तक मनाए जाने वाले एक साल के राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव की औपचारिक शुरुआत है। इस स्मरणोत्सव में उस कालजयी रचना के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जाएगा जिसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और राष्ट्रीय गौरव एवं एकता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।
 
बंकिम चंद्र चटर्जी ने सात नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना की थी।
 
‘वंदे मातरम्’ पहली बार साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में चटर्जी के उपन्यास ‘आनंदमठ’ के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था।