नई दिल्ली
क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने एक बड़ी सफलता के साथ दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब में बहु-राज्यीय छापेमारी कर कई साइबर फ्रॉड सिंडिकेट्स का भंडाफोड़ किया है। इस अभियान में डिजिटल अरेस्ट और निवेश घोटाले के कई प्रमुख मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया गया और दुबई से जुड़े कम से कम 5 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी का पता लगाया गया।
साथ ही नकली कंपनियों, म्यूल खातों और ई-कॉमर्स फ्रंट ऑपरेशन्स को भी इस छापेमारी के दौरान उजागर किया गया। गिरफ्तार व्यक्तियों में कुरुक्षेत्र के सुमित कुमार और अतुल शर्मा, हिसार के राहुल मंडा, जालंधर के वरुण अंचल उर्फ़ लकी, और सारण के अमित कुमार सिंह उर्फ़ कार्तिक शामिल हैं।
निवेश घोटाले के मामले में दुबई स्थित हैंडलर सुमित गर्ग के तहत काम करने वाले एक प्रमुख सिंडिकेट ऑपरेटर को गिरफ्तार किया गया। राहुल मंडा को डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसमें एक पीड़ित ने उनके जाल में फंसकर 30 लाख रुपये गंवा दिए। वरुण अंचल को कई म्यूल खातों और फंड ट्रांसफर के संचालन के लिए पकड़ा गया, जबकि पूर्व बैंक कर्मचारी अमित कुमार सिंह ने लेनदेन को सुचारू बनाने में मदद की।
सुप्रीम कोर्ट ने लुधियाना के लक्षय नंदा, जो 48.35 लाख रुपये के निवेश घोटाले में शामिल थे, की जमानत भी रद्द कर दी है।गुरुग्राम में की गई छापेमारी में क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने मोबाइल फोन, सिम कार्ड, लैपटॉप, चेक बुक और लगभग 5 करोड़ रुपये (552,944 USDT) वाली तीन क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स जब्त की।
साइबर ठगों ने पीड़ितों को डराने के लिए नकली पुलिस और एजेंसी पहचान का इस्तेमाल किया और उन्हें डिजिटल अरेस्ट में फंसाया। इसके साथ ही, उन्होंने उच्च लाभ का वादा करने वाले नकली निवेश प्लेटफॉर्म बनाए ताकि लोग निवेश घोटाले का शिकार हों। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों, पीजी निवासियों और बेरोजगार युवाओं को म्यूल करंट अकाउंट खोलने के लिए भर्तियाँ की और नकली ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए लेन-देन और कैश फ्लो को छिपाया।
इस भंडाफोड़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि साइबर फ्रॉड के मामलों में अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का कितना गहरा असर होता है और इसकी रोकथाम के लिए समन्वित कार्रवाई कितनी जरूरी है।