न्यायालय ने विचाराधीन कैदियों के मतदान अधिकार बहाल करने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 10-10-2025
The court sought the Centre's response on a plea seeking restoration of voting rights to undertrial prisoners.
The court sought the Centre's response on a plea seeking restoration of voting rights to undertrial prisoners.

 

नयी दिल्ली
 
उच्चतम न्यायालय ने देशभर की जेलों में बंद लगभग 4.5 लाख विचाराधीन कैदियों को मतदान का अधिकार देने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया है।
 
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की इस दलील पर गौर किया कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत लगाया गया वर्तमान पूर्ण प्रतिबंध संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन करता है।
 
पंजाब के पटियाला निवासी सुनीता शर्मा द्वारा दायर याचिका में कानून एवं न्याय मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।
 
याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है कि जिन कैदियों को चुनावी अपराधों या भ्रष्टाचार के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है, उन्हें मनमाने ढंग से उनके मतदान के लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित नहीं किया जाए।