केंद्रीय मंत्री के बयान से नीतीश कुमार के नक़ाब विवाद ने तूल पकड़ा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-12-2025
The controversy surrounding Nitish Kumar's mask incident escalated after the Union Minister's statement.
The controversy surrounding Nitish Kumar's mask incident escalated after the Union Minister's statement.

 

नई दिल्ली/पटना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नक़ाब हटाने की घटना को लेकर राजनीतिक और सामाजिक विवाद चौथे दिन भी थमता नहीं दिख रहा है। इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की तीखी टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि महिला चाहे तो नौकरी लेने से इनकार कर सकती है या “जहन्नुम जा सकती है”, यह उसका निजी फैसला है। इस बयान के बाद देशभर में आक्रोश और तेज़ हो गया है।

यह घटना सोमवार को पटना स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई, जब आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र दिए जा रहे थे। वायरल वीडियो में दिखता है कि जब एक महिला डॉक्टर नक़ाब पहनकर मंच पर पहुंची, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने “यह क्या है” कहते हुए उनका नक़ाब हटा दिया। विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने इसे महिला की गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री के बचाव में उतरते हुए कहा, “अगर कोई नियुक्ति पत्र लेने आती है, तो क्या उसे चेहरा नहीं दिखाना चाहिए? क्या यह कोई इस्लामी देश है?” उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार ने एक अभिभावक की तरह व्यवहार किया। इसी दौरान उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि महिला नौकरी छोड़े या “जहन्नुम जाए”, यह उसकी मर्ज़ी है।

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विवाद को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि एनडीए सरकार हमेशा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती रही है और मुख्यमंत्री महिलाओं का सम्मान करते हैं।

इस मामले में विपक्षी नेताओं और सार्वजनिक हस्तियों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने इसे “शर्मनाक” बताया, जबकि एनसीपी (एसपी) की सांसद फौज़िया खान ने कहा कि किसी महिला का नक़ाब हटाना उसे अपमानित करने जैसा है। लेखक-जावेद अख्तर ने भी नीतीश कुमार से बिना शर्त माफी की मांग की।

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे महिला की गरिमा, स्वायत्तता और पहचान पर हमला बताया और कहा कि सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है।

विवाद बढ़ने के साथ यह मामला अब केवल एक घटना नहीं, बल्कि धर्म, महिला अधिकार और संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा गंभीर सवाल बन गया है।