सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम वोटों के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए तीन निर्देश जारी किए

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 26-04-2024
Supreme Court issues three directions as it rejects petitions seeking 100% verification of EVM votes
Supreme Court issues three directions as it rejects petitions seeking 100% verification of EVM votes

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के वोटों को उनके वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ 100 प्रतिशत सत्यापन की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने के बाद, जनहित वकील और कार्यकर्ता, प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन याचिका का निस्तारण करते हुए निर्देश.
 
पत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका में उन्होंने ईवीएम में एक प्रोग्रामेबल मेमोरी का जिक्र किया था, जिसमें किसी दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम को अपलोड करने पर छेड़छाड़ की जा सकती है. "हमने कहा कि ईवीएम में प्रोग्राम करने योग्य मेमोरी होती है क्योंकि प्रतीक लोडिंग होती है और यही कारण है कि यदि आप कोई दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम अपलोड करते हैं तो उनमें हेरफेर किया जा सकता है. इसलिए, यह आवश्यक है कि वीवीपैट का पेपर ट्रेल ऑडिट किया जाए और सभी वीवीपैट पर्चियों का पता लगाया जाए. गिने जाते हैं."
 
उन्होंने आगे कहा, "चूंकि वीवीपैट में भी काला शीशा लगाया गया था, इसलिए हम अनुरोध कर रहे थे कि इसे पारदर्शी शीशे से बदल दिया जाए या मतदाता को पर्ची सौंप दी जाए और फिर उसे मतपेटी में डाल दिया जाए ताकि बाद में उसकी गिनती की जा सके."
 
भूषण ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी मांगों को खारिज कर दिया, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सभी बैलेट पेपर पर बारकोड लगाया जाता है, तो जांच करें कि क्या इसे मशीन द्वारा यांत्रिक रूप से गिना जा सकता है."
 
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को भी कम से कम 45 दिनों के लिए सील कर दिया जाना चाहिए ताकि अगर कोई याचिका दायर की जाती है और अदालत कुछ आदेश देती है, तो उसका ध्यान रखा जा सके.
 
भूषण ने कहा, "तीसरी बात जो उन्होंने कही है वह यह है कि हर दूसरा या तीसरा उम्मीदवार ईवीएम की जली हुई मेमोरी की जांच की मांग कर सकता है... उस परीक्षा की लागत उम्मीदवार को चुकानी होगी. इन निर्देशों के साथ , अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया है.”
 
शीर्ष अदालत ने बैलेट पेपर से मतदान की ओर लौटने की याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को भी खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की दो न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया.