जहान-ए-खुसरो में सूफी संगीत की गूंज, पीएम मोदी बोले – हिंदुस्तान की मिट्टी की खुशबू से सराबोर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 02-03-2025
Sufi music resonates in Jahan-e-Khusro, PM Modi said – it is filled with the fragrance of Hindustan's soil
Sufi music resonates in Jahan-e-Khusro, PM Modi said – it is filled with the fragrance of Hindustan's soil

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में सूफी संगीत समारोह ‘जहान-ए-खुसरो’ के रजत जयंती कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस प्रतिष्ठित महोत्सव ने अपनी 25 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है और इस दौरान यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि लोगों के दिलों में भी एक गहरी छाप छोड़ चुका है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा, “जहान-ए-खुसरो’ के इस आयोजन में एक अलग खुशबू है, यह खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है. जब हम सूफी संगीत को सुनते हैं, तो उसमें प्रेम, भक्ति और अध्यात्म का संगम दिखाई देता है. इस प्रकार के आयोजन न केवल देश की संस्कृति और कला के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह आत्मिक शांति भी प्रदान करते हैं.

भारतीय संस्कृति और तहजीब की अनूठी झलक

प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को रमजान की शुभकामनाएं देते हुए कहा, “आज, जब मैं सुंदर नर्सरी का दौरा कर रहा हूं, तो मेरे लिए हिज हाइनेस प्रिंस करीम आगा खान को याद करना स्वाभाविक है. सुंदर नर्सरी के सौंदर्यीकरण और संरक्षण में उनका योगदान लाखों कला प्रेमियों के लिए एक आशीर्वाद बन गया है."

उन्होंने आगे कहा कि भारत की सूफी परंपरा ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है. सूफी संतों ने अपने संदेश को मस्जिदों और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं के साथ एकात्मता स्थापित की.

उन्होंने कहा, "उन्होंने पवित्र कुरान के हर्फ पढ़े, तो वेदों के शब्द भी सुने. उन्होंने अजान की सदा में भक्ति के गीतों की मिठास को जोड़ा. किसी भी देश की सभ्यता और तहजीब को स्वर उसके संगीत से मिलता है, और भारत ने इस समृद्ध परंपरा को अपनाया है."

अमीर खुसरो की विरासत का जश्न

पीएम मोदी ने कहा, "जहान-ए-खुसरो’ के इस आयोजन में हिंदुस्तान की मिट्टी की खुशबू है। वह हिंदुस्तान, जिसकी तुलना हजरत अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी. हमारा हिंदुस्तान जन्नत का वो बागीचा है, जहां तहजीब का हर रंग फला-फूला है. यहां की मिट्टी के मिजाज में ही कुछ खास है। शायद इसलिए जब सूफी परंपरा हिंदुस्तान आई, तो उसे भी लगा कि जैसे वह अपनी ही जमीन से जुड़ गई हो."

अमीर खुसरो के योगदान का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "हजरत अमीर खुसरो ने उस समय भारत को दुनिया के सभी बड़े देशों से महान बताया था. उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया.

वह भारत के मनीषियों को बड़े-बड़े विद्वानों से भी बड़ा मानते थे. जब सूफी संगीत और शास्त्रीय संगीत, दोनों प्राचीन परंपराएं आपस में जुड़ीं, तो हमने प्रेम और भक्ति का एक नया लयबद्ध प्रवाह देखा."

जहान-ए-खुसरो महोत्सव का 25 वर्षों का सफर

रूमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस महोत्सव की शुरुआत 2001 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने की थी और इस वर्ष यह अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है.

तीन दिवसीय इस महोत्सव में दुनिया भर के कलाकार अमीर खुसरो की विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्रित होते हैं. इस वर्ष भी यह आयोजन 28 फरवरी से 2 मार्च तक जारी रहेगा, जिसमें सूफी संगीत की विभिन्न प्रस्तुतियां होंगी.

टीईएच बाजार का दौरा

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘टीईएच बाजार’ (The Exploration of the Handmade) का दौरा किया, जहां ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत विभिन्न जिलों की उत्कृष्ट कलाकृतियां, हस्तशिल्प और हथकरघा प्रदर्शित किए गए. इस बाजार में प्रधानमंत्री ने दुकानदारों से बातचीत की और भारत की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया.

सूफी संगीत महोत्सव ‘जहान-ए-खुसरो’ ने 25 वर्षों में भारतीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. यह महोत्सव सिर्फ एक संगीत आयोजन नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी तहजीब और साझी विरासत का प्रतीक बन चुका है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की आध्यात्मिकता, संगीत और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है, जिसे आने वाले वर्षों में और अधिक भव्यता के साथ मनाया जाएगा.