नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले भारत-रूस संबंधों की महत्ता पर जोर दिया। संसद परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत में थरूर ने कहा कि यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण है और भारत की रूस के साथ संबंधों को और मजबूत बनाएगा।
थरूर ने कहा, “हम लंबे समय से रणनीतिक स्वायत्तता की बात करते रहे हैं। हमें अमेरिका, चीन और रूस के साथ अपने संवादात्मक स्थान को बनाए रखना होगा। भारत की सभी देशों के साथ स्वतंत्र संबंध होने चाहिए। रूस के साथ हमारा संबंध पुराना है, गंभीर है और मजबूत है। हम अपनी स्वायत्तता को किसी अन्य देश के हितों के लिए गिरवी नहीं रख सकते।”
रूस के राष्ट्रपति पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत के 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आ रहे हैं।
इससे पहले पुतिन ने सोमवार को मास्को में एक निवेश मंच पर कहा कि ऊर्जा, उद्योग, अंतरिक्ष, कृषि और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न संयुक्त परियोजनाओं का उद्देश्य बीजिंग और नई दिल्ली के साथ सहयोग को नए आयाम पर ले जाना है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य चीन और भारत के साथ सहयोग को गुणवत्ता की नई ऊँचाई पर ले जाना है, जिसमें तकनीकी घटक को मजबूत किया जाएगा। यही विभिन्न क्षेत्रों में हमारी संयुक्त परियोजनाओं का उद्देश्य है।”
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भी संकेत दिया कि पुतिन के दौरे के दौरान अतिरिक्त S-400 लंबी दूरी की एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों की बिक्री पर चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह एजेंडा पर उच्च प्राथमिकता में है और इस पर चर्चा हो सकती है। हमारी सैन्य उद्योग प्रणाली काफी मजबूत है। रूस के हथियार भारतीय सशस्त्र बलों में 36% हैं और भविष्य में भी ऐसा ही बने रहने की संभावना है।”
इसके अलावा, पेसकोव ने कहा कि भारत द्वारा Su-57 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को खरीदने की संभावना पर भी चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा, “Su-57 दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विमान है और यह एजेंडा पर होगा।”
पेसकोव ने भारत-रूस रक्षा सहयोग में ब्रह्मोस मिसाइलों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह केवल खरीद-फरोख्त का मामला नहीं है, बल्कि उच्च तकनीक के आदान-प्रदान का अवसर है, जो रक्षा सहयोग को उज्जवल भविष्य की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा, “हम जटिल और विविध प्रणालियों का विकास कर रहे हैं और भारत के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं।”
क्रेमलिन प्रवक्ता ने यह भी संकेत दिया कि पुतिन के दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में समझौते की संभावना भी बनी हुई है।
इस दौरे को भारत-रूस के रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त हितों को आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।
थरूर ने इस अवसर पर दोहराया कि भारत के लिए रूस के साथ पुराना और मजबूत संबंध न केवल रणनीतिक महत्व रखता है, बल्कि यह देश की वैश्विक कूटनीति में स्वायत्तता बनाए रखने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा, “हमारी विदेश नीति में किसी भी देश पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए। रूस के साथ हमारे रिश्ते भरोसेमंद और रणनीतिक हैं, और पुतिन का दौरा इसे और सुदृढ़ करेगा।”
इस प्रकार, पुतिन का दौरा न केवल भारत-रूस सहयोग के नए आयाम खोलने वाला है, बल्कि रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में उच्च तकनीक के आदान-प्रदान के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है।