नई दिल्ली
शारदीय नवरात्रि के पर्व की शुरुआत के साथ देशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। लोग माता दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में पहुंचे और देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया।
राष्ट्रीय राजधानी में कलकाजी मंदिर और झंडेवालान मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों ने मां दुर्गा की पूजा की। इसके अलावा, छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आए। मुंबई के मुम्बादेवी मंदिर में पवित्र काकड़ आरती का आयोजन किया गया, जिससे नौ दिवसीय पर्व की शुरुआत हुई।
शारदीय नवरात्रि में श्री कनकादुर्गा को श्री महाचंडिका देवी के रूप में सजाया जाता है। महाचंडिका देवी में महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती का ‘त्रिशक्ति’ स्वरूप समाहित है। देवी का जन्म दुष्टों का दंड देने और धर्म की रक्षा के लिए हुआ। उनके भीतर कई देवी-देवता वास करते हैं। महाचंडिका देवी की पूजा सभी देवताओं की पूजा के समान मानी जाती है। उनकी कृपा से ज्ञान, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति होती है और शत्रु मित्र बन जाते हैं।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक रंगीन और पवित्र त्योहार है, जो नौ रातों तक चलता है और देवी दुर्गा की दिव्य शक्ति का सम्मान करता है। यह आश्विन मास में मनाया जाता है और इसमें उपवास, भजन, आराधना और पारंपरिक नृत्य जैसे गरबा और डांडिया का आयोजन होता है।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन को देवी के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित किया जाता है, जो शक्ति, करुणा और ज्ञान के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। सातवां दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है, जो दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने वाली हैं।
नौ दिवसीय यह पर्व राम नवमी के दिन समाप्त होता है, जो भगवान राम का जन्मदिन होता है। चैत्र नवरात्रि में लोग देवी दुर्गा की पूजा और घटस्थापना का महत्वपूर्ण संस्कार करते हैं। इसके अलावा, नवरात्रि में महागौरी माता के रूप में शांति और सौम्यता का भी महत्व माना जाता है।