Samosa: कहां से आया समोसा, ग़ज़नवी साम्राज्य के शाही दरबार से लेकर स्ट्रीट फ़ूड बनने तक

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 19-03-2024
Samosa: Where did Samosa come from, from the royal court of Ghaznavi Empire to becoming street food
Samosa: Where did Samosa come from, from the royal court of Ghaznavi Empire to becoming street food

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

कोई नहीं जानता कि समोसा पहली बार तिकोना कब बनाया गया लेकिन इतना जरूर पता है कि इसका नाम समोसा फारसी भाषा के 'संबुश्क:' से निकला है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है. दरअसल, समोसा मीलों दूर ईरान के प्राचीन साम्राज्य से आया है.
 
पहली बार ग़ज़नवी साम्राज्य के शाही दरबार में किया गया पेश समोसा
समोसे का पहली बार ज़िक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है. समोसे का पहली बार ज़िक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है. उन्होंने ग़ज़नवी साम्राज्य के शाही दरबार में पेश की जाने वाली 'नमकीन' चीज़ का ज़िक्र किया है जिसमें कीमा और सूखे मेवे भरे होते थे. इसे तब तक पकाया जाता था जब तक कि ये खस्ता न हो जाए लेकिन लगातार भारत आने वाले प्रवासियों की खेप ने समोसे का रूप-रंग बदल दिया.
 
 
भारत में कैसे आया समोसा 
समोसा भारत में मध्य एशिया की पहाड़ियों से गुज़रते हुए पहुंचा जिस क्षेत्र को आज अफ़ग़ानिस्तान कहते हैं. बाहर से आने वाले इन प्रवासियों ने भारत में काफ़ी कुछ बदला और साथ ही साथ समोसे के स्वरूप में भी काफ़ी बदलाव आया. लेकिन समय के साथ जैसे ही समोसा ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान पहुंचा इसमें बहुत बदलाव आया. और जैसा कि भारतीय खानों के विशेषज्ञ पुष्पेश पंत बताते हैं यह 'किसानों का पकवान' बन गया.
 
ज़्यादा कैलोरी वाला पकवान समोसा 
ख़ास तरह का इसका रूप तब भी कायम था और इसे तल कर ही बनाया जाता था लेकिन इसके अंदर इस्तेमाल होने वाले सूखे मेवे और फल की जगह बकरे या भेड़ के मीट ने ले ली थी जिसे कटे हुए प्याज और नमक के साथ मिला कर बनाया जाता था. सदियों के बाद समोसे ने हिंदूकुश के बर्फ़ीले दर्रों से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप तक का सफ़र तय किया.
 
 
दुनिया का पहला 'फ़ास्ट फूड' बन गया समोसा 
समोसा आपको बताता है कि कैसे इस तरह के पकवान हम तक पहुंचे हैं और कैसे भारत ने उन्हें अपनी जरूरत के हिसाब से पूरी तरह से बदलकर अपना बना लिया है. भारत में समोसे को यहां के स्वाद के हिसाब से अपनाए जाने के बाद यह दुनिया का पहला 'फ़ास्ट फूड' बन गया. समोसे में धनिया, काली मिर्च, जीरा, अदरक और पता नहीं क्या-क्या डालकर अंतहीन बदलाव किया जाता रहा है. इसमें भरी जानी वाली चीज़ भी बदल गई. मांस की जगह सब्जियों ने ले ली.
 
भारत का समोसा 
भारत में अभी जो समोसा खाया जा रहा है, उसकी एक और ही अलग कहानी है. अभी भारत में आलू के साथ मिर्च और स्वादिष्ट मसाले भरकर समोसे बनाए जाते हैं. सोलहवीं सदी में पुर्तगालियों के आलू लाने के बाद समोसे में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ. तब से समोसे में बदलाव होता जा रहा है. भारत में आप जहां कहीं भी जाएंगे यह आपको अलग ही रूप में मौजूद मिलेगा. अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह के समोसे मिलते हैं. यहां तक कि एक ही बाज़ार में अलग-अलग दुकानों पर मिलने वाले समोसे के स्वाद में भी अंतर होता है.
 
 
शादियों में होने वाले भोज और पार्टियों का हिस्सा समोसा
कभी-कभी यह इतना बड़ा होता है कि लगता है कि पूरा खाना एक समोसे में ही निपट जाएगा. समय के साथ समोसा शादियों में होने वाले भोज और पार्टियों का हिस्सा तक बन गया.  मोरक्कन यात्री इब्न बतूता ने मोहम्मद बिन तुग़लक़ के दरबार में होने वाले भव्य भोज में परोसे गए समोसे का जिक्र किया है. उन्होंने समोसे का वर्णन करते हुए लिखा है कि कीमा और मटर भरा हुआ पतली परत वाली पैस्टी थी. पंजाब में अक्सर पनीर भरा समोसा मिलता है, वहीं दिल्ली में कई जगह उसमें काजू किशमिश डाले जाते हैं. इन दिनों मिलने वाले सभी समोसे मीठे हों, ऐसा भी नहीं है. बंगाली लोग समोसे जैसी मिठाई 'लबंग लतिका' बहुत पसंद करते हैं जो कि मावे भरा मीठा समोसा होता है. दिल्ली के एक रेस्तरां में चॉकलेट भरा हुआ समोसा मिलता है.
 
 
समोसा बनाने के तरीके भी अलग-अलग
जो आम तौर पर समोसा है, वो अब भी भूरे रंग का होने तक तल कर ही बनाया जाता है लेकिन कभी-कभी आप कम कैलोरी वाले बेक्ड समोसे भी खा सकते हैं. ब्रिटेन के लोग भी समोसा खूब चाव से खाते हैं और भारतीय प्रवासी पिछली कुछ सदियों में दुनिया में जहां कहीं भी गए अपने साथ समोसा ले गए. इस तरह से ईरानी राजाओं के इस शाही पकवान का आज सभी देशों में लुत्फ उठाया जा रहा है.
 
समोसा इस बात का सबूत है कि ग्लोबलाइजेशन कोई नई चीज़ नहीं है, समोसा खाने के बाद आपको समझ जाना चाहिए कि किसी चीज़ की पहचान देश की सीमा से तय नहीं होती है. एक बात तो तय है कि समोसा दुनिया के किसी कोने में भी बनेगा और उसमें जो कुछ भी भरा जाए उसमें आपको भारतीयता का एहसास होगा. 
 
संदर्भ: बीबीसी