सालार जंग संग्रहालय में निजाम की ‘सर्पिल तलवार’ की वापसी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-09-2022
सालार जंग संग्रहालय में निजाम की ‘सर्पिल तलवार’ की वापसी
सालार जंग संग्रहालय में निजाम की ‘सर्पिल तलवार’ की वापसी

 

आवाज-द वॉयस, नई दिल्ली

अंग्रेजों ने भारत पर लंबे समय तक शासन किया और वे देश से हजारों कीमती सामान ले गए. इन वस्तुओं में कई दुर्लभ वस्तुएं भी शामिल हैं, जिनकी वसूली भारत के लिए मुश्किल है. इसलिए, भारत सरकार समय-समय पर इन मूल्यवान वस्तुओं को वापस लाने की कोशिश करती है.

द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक निजाम की तलवार 117 साल बाद भारत लौट रही है. इसके साथ ही सात अन्य सामान भी हैं, जो ग्लासगो (स्कॉटलैंड) से भारत लाए जा रहे हैं. दरअसल, 14वीं सदी की यह तलवार 20वीं सदी की शुरुआत में हैदराबाद में एक ब्रिटिश जनरल को बेची गई थी.

तलवार सहित सात वस्तुओं को ग्लासगो लाइफ में रखा गया है, जिसका प्रबंधन ग्लासगो संग्रहालय द्वारा किया जाता है. हालांकि इन वस्तुओं को पहले चोरी के रूप में दिखाया गया था. तलवार के अधिग्रहण दस्तावेज में कहा गया है कि इसे महाराजा किशन प्रसाद से खरीदा गया था.

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महाराजा किशन प्रसाद से खरीदी तलवार


ग्लासगो लाइफ के संचार अधिकारी जोनाथन रेली ने कहा कि तलवार 1905 में बॉम्बे कमांड के कमांडर-इन-चीफ (1903-1907) जनरल सर आर्चीबाल्ड हंटर द्वारा हासिल की गई थी. उन्होंने इसे महाराजा किशन प्रसाद बहादुर से खरीदा था. उस समय हैदराबाद के प्रधानमंत्री किशन प्रसाद बहादुर थे. आर्ची बाल्ड हंटर सर्विस, सर हंटर के भतीजे थे. उन्होंने 1978 में ग्लासगो लाइफ म्यूजियम के संग्रह में तलवार दान की थी.

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आपको बता दें कि निजाम की यह खास तलवार सांप के आकार की है, जिसमें तलवार के दोनों ओर धनुष बने हैं. तलवार के बीच में हाथी और शेर के सुंदर सोने के रूपांकनों को उकेरा गया है.

संग्रहालय के दस्तावेजों के अनुसार, इस तलवार को 1903 में दिल्ली या शाही दरबार में महबूब अली खान, आसिफ जाह चतुर्थ, हैदराबाद के निजाम (1896-1911) द्वारा प्रदर्शित किया गया था. यह प्रदर्शनी किंग एडवर्ड द्वितीय और रानी एलेक्जेंड्रा के राज्याभिषेक के स्वागत की याद दिलाती है.

संग्रहालय की प्रतिक्रिया

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सालार जंग संग्रहालय तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में स्थित है. सालार जंग संग्रहालय के निदेशक ए. नागेंद्र रेड्डी का कहना है कि हैदराबाद का सालार जंग संग्रहालय तलवार के लिए सही जगह है, क्योंकि यह तलवार उसी क्षेत्र से आती है. हालांकि हमें अभी तक तलवार वापस लाने की सूचना नहीं मिली है, रेड्डी ने कहा.

सालार जंग संग्रहालय (एसजेएम) में एक हथियार गैलरी भी है, जिसमें मुगलों, निजामों और भारत के अन्य शासकों से संबंधित तलवारें, चाकू, युद्ध कुल्हाड़ी और हथियार हैं.

तलवार कैसे बिकी?

इतिहासकार सज्जाद शाहिद ने द हिंदू से बातचीत में कहा है कि निजाम उस्मान अली खान की यह खास तलवार बाद में उनके प्रधानमंत्री महाराजा किशन प्रसाद ने एक ब्रिटिश अधिकारी को कैसे बेची यह एक रहस्य है.

लोगों पर सिक्के फेंकते थे महाराजा

महत्वपूर्ण बात यह है कि किशन प्रसाद महाराजा चंदोलाल के परिवार से थे, जो दो बार निजाम सिकंदर जाह के प्रधानमंत्री बने. महाराजा किशन प्रसाद अपनी दरियादिली के लिए प्रसिद्ध थे. वह अपनी मोटर कार का अनुसरण करने वाले लोगों पर सिक्के फेंकने के लिए भी जाने जाते थे.