एस नावेद कैसर शाह / रामपुर
राम नवमी के उपलक्ष्य में, रामपुर रजा लाइब्रेरी की संरक्षण प्रयोगशाला के प्रभारी मुख्य संरक्षक ओम कुमार सक्सेना ने दरबार हॉल में रामायण की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के लिए रिबन काटा. इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि अरबी-फारसी के लिए प्रसिद्ध पुस्तकालय में रामायण की सैकड़ों दुर्लभ प्रतियां हैं और यह एक दुर्लभ खजाना है, जिससे विद्वान लाभ उठा सकते हैं. मैं इनके अच्छे भविष्य की आशा करता हूं.
इस संबंध में उन्होंने पुस्तकालय स्टाफ एवं कर्मियों की सेवाओं की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि शोध विद्वानों को भी इस ऐतिहासिक धरोहर की विशेषताओं की ओर आकर्षित करने की जरूरत है, क्योंकि अगर इन महत्वपूर्ण पांडुलिपियों पर काम किया जाए, तो कई महत्वपूर्ण बातें सामने आएंगी और और भी जांचें सामने आ सकती हैं.
प्रदर्शनी में सबसे महत्वपूर्ण पांडुलिपि फर्रुख सियार कालीन रामायण है. उन्होंने इसका संस्कृत से फारसी में अनुवाद सुमैर चंद से करवाया था. इसमें 258 बिना फ्रेम वाली छवियां हैं. इस दुर्लभ रामायण की शुरुआत बिस्मिल्लाह से की गई है. रजा लाइब्रेरी ने इस संस्करण का हिन्दी अनुवाद तीन खंडों में प्रकाशित किया है. इस अवसर पर संस्कृत पांडुलिपियों की कैटलॉगर डॉ. प्रीति अग्रवाल ने प्रदर्शनी में महत्वपूर्ण पांडुलिपियों का परिचय दिया.
रजा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र के मार्गदर्शन में इस प्रदर्शनी में रामायण मसीही, गुरु नारायण की रामायण, आर्य संगीत रामायण, फारसी में फराकी दरियाबादी की रामायण, महर्षि शिवबीरटलाल की रुहानी रामायण, बच्चों के लिए सुदर्शन की रामायण, कुछ दुर्लभ पांडुलिपियां शामिल होंगी. मौलवी अब्दुल सत्तार की रामायण, मुल्ला मसीही पानीपती की मंजुम रामायण और अध्यात्मम रामायण के दृश्य प्रदर्शित किए गए हैं.
इसके अलावा सुमैर चंद की फारसी रामायण की कुछ पेंटिंग भी लगाई गई हैं, जो देखने लायक हैं. इसके साथ ही श्री रामचन्द्र जी के विभिन्न चित्रों के नमूने भी लगाये गये हैं. इस मौके पर डॉ. इरशाद नदवी, सनम अली खान, डॉ. तबस्सुम साबिर, शबाना अफसर शाजिया हसन, राजेश, सनोबर शाह खान, शहामत अली खान समेत शहर के अन्य रईस और गणमान्य लोग मौजूद रहे. प्रदर्शनी 30 अप्रैल, 2024 तक सुबह 10ः30 बजे से शाम 4ः30 बजे तक जारी रहेगी.