सिडनी
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिडनी में आयोजित भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा उद्योग राउंड टेबल को संबोधित करते हुए दोनों देशों के बीच लगातार मजबूत हो रही रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह संबंध अब एक मजबूत दोस्ती से आगे बढ़कर व्यापक रणनीतिक साझेदारी बन चुका है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, आपसी विश्वास और बहु-क्षेत्रीय सहयोग पर आधारित है।
इस राउंड टेबल की अध्यक्षता राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील के साथ की। उन्होंने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध हाल के वर्षों में उच्च स्तरीय सतत संवाद और रणनीतिक समन्वय के चलते उल्लेखनीय रूप से मजबूत हुए हैं।
उन्होंने बताया कि 2020 में यह साझेदारी व्यापक रणनीतिक रूप में तब्दील हुई थी, जिसे नवंबर 2024 के भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024 की 2+2 वार्ता और दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की यात्राओं ने और मज़बूत किया।
राजनाथ सिंह ने तीन मुख्य स्तंभों — सरकार से सरकार का सहयोग, लोगों के बीच संबंध, और व्यापार तथा औद्योगिक साझेदारी — पर आधारित इस रिश्ते को मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में एक मिलियन से अधिक भारतीय मूल के लोग इस संबंध की सामाजिक और सांस्कृतिक नींव को मजबूत करते हैं।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि रक्षा उद्योग में संयुक्त अनुसंधान, सह-उत्पादन और नवाचार की असीम संभावनाएं अभी भी पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाई हैं। उन्होंने कहा,“भारत और ऑस्ट्रेलिया प्राकृतिक साझेदार हैं, और यह सहयोग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी लाभदायक है।”
भारत की सॉफ्टवेयर, उन्नत निर्माण और तकनीकी क्षमताएं, और ऑस्ट्रेलिया की नवाचार और अनुसंधान ताकत, दोनों मिलकर रक्षा क्षेत्र में भविष्य की संयुक्त परियोजनाओं के लिए उपयुक्त मंच तैयार करते हैं।
उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत के साथ साझेदारी करने का आमंत्रण देते हुए कहा,“हम ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों का स्वागत करते हैं कि वे भारतीय उद्योग के साथ मिलकर उच्च-स्तरीय प्रणालियों जैसे प्रपल्शन टेक्नोलॉजी, ऑटोनॉमस अंडरवॉटर व्हीकल्स, फ्लाइट सिमुलेटर और उन्नत मटेरियल्स पर सह-निर्माण करें।”
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा उत्पादन ₹1.51 लाख करोड़ (18 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष से 18 प्रतिशत अधिक है। रक्षा निर्यात भी रिकॉर्ड ₹23,600 करोड़ (2.7 अरब डॉलर) रहा।
उन्होंने "मेक इन इंडिया", पीएलआई योजनाओं और 74% तक एफडीआई की अनुमति जैसी प्रमुख सुधारों का भी ज़िक्र किया, जिनकी वजह से भारत रक्षा निर्माण और अनुसंधान के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है।
इस राउंड टेबल में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले, भारतीय नौसेना से वाइस एडमिरल संजय वत्सायन, और वायुसेना से एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित, साथ ही दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग प्रतिनिधि शामिल हुए।