नई दिल्ली
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने गुरुवार को जानकारी दी कि पुणे एयरपोर्ट पर पार्किंग बे की भारी कमी के कारण उसकी कई उड़ानों का शेड्यूल प्रभावित हुआ। एयरलाइन की एक सुबह की फ्लाइट समय पर उतरने के बावजूद पार्क नहीं हो सकी क्योंकि सभी बे पहले से ही भरे हुए थे।
एयरलाइन के अनुसार, दिल्ली-पुणे उड़ान सुबह 06:55 बजे निर्धारित समय पर पहुंची, लेकिन एयरपोर्ट के सभी 10 पार्किंग बे पहले से दूसरे एयरलाइन के विमानों से भरे होने के कारण विमान को जगह नहीं मिल सकी।
एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने बताया,“हमारी दिल्ली-पुणे की उड़ान समय पर 06:55 बजे लैंड हुई, लेकिन उस समय कोई पार्किंग बे उपलब्ध नहीं था। एयरपोर्ट पर कुल 10 बे हैं और सभी तकनीकी कारणों या देरी के चलते दूसरे एयरलाइन के विमानों से भरे हुए थे।”
एयरलाइन ने कहा कि इस जाम की स्थिति का सीधा असर आगे की पुणे-इंदौर उड़ान पर पड़ा, जिससे उसकी प्रस्थान में देरी हुई।प्रवक्ता ने कहा,“इस भीड़भाड़ के कारण हमारी पुणे-इंदौर उड़ान में देरी हुई। हमें इस असुविधा के लिए खेद है और हम एयरपोर्ट ऑपरेटर और एटीसी के साथ स्थिति सुधारने के लिए काम कर रहे हैं।”
इस बीच, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआई) पर उड़ान सेवाएँ गुरुवार को गंभीर रूप से प्रभावित रहीं। शाम 4 बजे तक इंडिगो एयरलाइंस की 34 प्रस्थान उड़ानें और 37 आगमन उड़ानें रद्द कर दी गई थीं। यह जानकारी दिल्ली एयरपोर्ट ने दी।
कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (CIAL) ने भी एक सलाह जारी कर बताया कि कई घरेलू एयरलाइंस पूरे देश में परिचालन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
CIAL ने कहा,“कुछ घरेलू एयरलाइंस राष्ट्रीय स्तर पर परिचालन संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं। हम यात्रियों की सहायता के लिए एयरलाइन टीमों के साथ निरंतर संपर्क में हैं। यात्रियों से अनुरोध है कि वे अपनी उड़ानों की नवीनतम जानकारी अपनी-अपनी एयरलाइन से प्राप्त करें।”
चेन्नई में भी कई इंडिगो उड़ानें रद्द या विलंबित हुईं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA India) ने देशभर में उड़ानों में हो रही गड़बड़ियों पर चिंता व्यक्त की और कड़े नियामक निगरानी की मांग की।
ALPA India ने कहा,“हालिया उड़ान रद्द होने की घटनाएँ—जिन्हें नए FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट) नियमों और पायलटों की कमी से जोड़ा जा रहा है—एयरलाइंस के प्रबंधन और DGCA की निगरानी पर गंभीर प्रश्न उठाती हैं।”
संगठन ने आगे कहा,“मुख्य सवाल यह है कि क्या पायलटों की वर्तमान कमी खराब योजना का परिणाम है या एक सोची-समझी रणनीति? संभव है कि दोनों ही कारण हों… यह स्थिति प्रमुख एयरलाइनों द्वारा संसाधनों की समय रहते योजना न बनाने की विफलता की ओर इशारा करती है और शायद नियामक पर नए नियमों को कमजोर करने के लिए दबाव बनाने का प्रयास भी है।”