नवाब मलिक के डी-गैंग के साथ साजिश रचने की प्रथम दृष्टया सबूत हैंः पीएमएलए कोर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 21-05-2022
नवाब मलिक
नवाब मलिक

 

मुंबई. एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र का संज्ञान लिया और कहा कि इस बात के प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि मलिक सीधे और जान-बूझकर मनी लॉन्ड्रिंग और गोवावाला परिसर को हड़पने के लिए दूसरों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल थे.

दालत ने उसके और 1993 के बम विस्फोट मामले के आरोपी सरदार शाहवाली खान के खिलाफ एक प्रक्रिया जारी की है, जिसका नाम भी इस मामले में है. इस  घटना के बारे में एक पृष्ठभूमि देते हुए, आधिकारिक आदेश प्रति में उल्लेख किया गया है, ‘‘एनआईए द्वारा आईपीसी की धारा 120बी और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17, 18, 20, 21, 38 और 40 के तहत 3 फरवरी, 2022 को दाऊद इब्राहिम कासकर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह आरोप लगाया जाता है कि दाऊद इब्राहिम कास्कर, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है, डी कंपनी नामक एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क चलाता है, जो हथियारों की तस्करी, नार्को-आतंकवाद, अंडरवर्ल्ड गतिविधियों जैसे विभिन्न आतंकवादी / आपराधिक गतिविधियों में शामिल है और मनी लॉन्ड्रिंग,  आतंकी फंड जुटाने के लिए प्रमुख संपत्तियों का अनधिकृत कब्जा / अधिग्रहण और लश्करे तैयबा, जैशे-मुहम्मद और अल-कायदा सहित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के साथ सक्रिय सहयोग में काम कर रहा है. इस प्राथमिकी में अनीस इब्राहिम शेख, शकील शेख, जावेद पटेल और इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन को भी आरोपी बनाया गया है. इस अनुसूचित अपराध के आधार पर, प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ पीएमएलए, 2002 के तहत जांच के लिए मामला दर्ज किया.’’

इससे पहले, इस मामले में, 18 सितंबर, 2017 को, कासरवादावली पुलिस स्टेशन, ठाणे में इकबाल कास्कर, मुमताज शेख और इसरार अली जमील सैय्यद के खिलाफ आईपीसी की धारा 384, 386 और 387 के तहत जबरन वसूली के अपराध के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

इसके बाद, डी कंपनी के एक सहयोगी और दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के भाई इकबाल कासकर को भी मकोका और अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था. जांच के दौरान, यह पता चला है कि हसीना पारकर (मृतक) डी कंपनी के प्रमुख सदस्यों में से एक थी और बहन और दाऊद इब्राहिम की करीबी सहयोगी थी.

आदेश की प्रति में उल्लेख किया गया है, ‘‘यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी नवाब मलिक और डी कंपनी के सदस्यों ने आपराधिक साजिश रची और उपरोक्त संपत्ति का अनधिकृत कब्जा / अधिग्रहण किया. बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि बॉम्बे बम विस्फोट मामले में दोषी सरदार खान भी उक्त साजिश का हिस्सा था. मुनीरा प्लम्बर की संपत्ति हड़पने में उसकी सहायता के बदले उसे लगभग 368 वर्ग मीटर का आच्छादित क्षेत्र मिला. गोवावाला कंपाउंड में और वही उन्हें सॉलिडस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दिया गया था. उपरोक्त संपत्ति को हड़पने के लिए, डी-कंपनी के सदस्यों और आरोपी नवाब मलिक ने आपराधिक कृत्य पर वास्तविकता का मुखौटा लगाने के लिए एक साथ मिलकर कई कानूनी दस्तावेजों को निष्पादित किया. इसके लिए नवाब मलिक और हसीना पारकर ने एक आपराधिक साजिश रची और नवाब मलिक ने हसीना पारकर को 55 लाख रुपये, सलीम पटेल को 1 लाख रुपये, सरदार खान को 5 लाख और सलीम पटेल को रुपये देने पर सहमति जताई. प्रारंभ में, नवाब मलिक ने अपने दबदबे और बाहुबल का उपयोग करके कुर्ला जनरल स्टोर पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. उसने मालिक को गुमराह किया और गोवावाला कंपाउंड में मेसर्स सॉलिडस इंवेस्टमेंट्स प्रा. लिमिटेड अधिग्रहण करने के लिए शेड को अपने कब्जे में ले लिया.

आरोपी के खिलाफ आरोप लगाए जाने के बाद और रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेजों के परिशीलन के बाद, अदालत को यह प्रतीत हुआ कि इस मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं. विशेष न्यायाधीश आरएन रोकाडे ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस मामले में इस शिकायत में शामिल आरोपियों के खिलाफ प्रक्रिया जारी करने की आवश्यकता है.’’