नई दिल्ली
संसद में बुधवार को न्यूक्लियर एनर्जी बिल (SHANTI बिल) पर व्यापक बहस हुई। यह बिल नागरिक परमाणु क्षेत्र में निजी निवेश को खोलने का प्रस्ताव करता है। सरकार समर्थक सांसदों ने बिल का पूरे जोश के साथ समर्थन किया, जबकि विपक्ष ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजकर विस्तृत समीक्षा करने की मांग की।
भाजपा सांसद शशांक मनी ने कहा कि यह बिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से आया है और इससे देश में रोजगार, निजी और सरकारी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि बिल में न्यूक्लियर ऊर्जा का परिभाषा स्पष्ट की गई है और यह पर्यावरण सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार परमाणु संयंत्र स्थापित करने की सुविधा देगा।
सपा के आदित्य यादव ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह विदेशी कंपनियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लक्ष्य को कमजोर करेगा। टीएमसी सांसद सौगाटा रॉय ने कहा कि बिल में परमाणु दुर्घटना के लिए अधिकतम जिम्मेदारी केवल 3 करोड़ डॉलर तक तय की गई है, जबकि इसे बढ़ाकर 5 करोड़ डॉलर होना चाहिए।
डीएमके सांसद अरुण नेहरू ने बिल का नाम 'SHANTI' व्यंग्यात्मक बताया और चेतावनी दी कि निजी कंपनियों के शामिल होने से बिजली की लागत 25% तक बढ़ सकती है।वहीं, NDA के अन्य सहयोगी JD-U के अलोक कुमार सुमन और TDP के कृष्ण प्रसाद तेन्येति ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इससे भारत में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में दस गुना वृद्धि संभव है।
NCP सांसद सुप्रिया सुळे ने भी JPC के माध्यम से बिल की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि किसी सप्लायर को असुरक्षा का अधिकार नहीं होना चाहिए और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
बिल को लेकर संसद में बहस में सुरक्षा, निवेश, निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी के मुद्दे प्रमुख रहे।