विपक्ष ने अंग्रेजी माध्यम शिक्षा योजना को 'बंद करने' के लिए ओडिशा सरकार की आलोचना की

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 03-12-2025
Opposition criticises Odisha government for 'shutting down' English medium education scheme
Opposition criticises Odisha government for 'shutting down' English medium education scheme

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस के विधायकों ने यह आरोप लगाते हुए ओडिशा विधानसभा से मंगलवार को बहिर्गमन किया कि राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने उस योजना को रद्द करने का फैसला किया है जिसके तहत अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) छात्रों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में शिक्षा दी जाती है तथा जिसका सारा खर्च सरकार वहन करती है।
 
अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति विकास मंत्री नित्यानंद गोंड ने कहा कि योजना की अवधि 2024-25 तक है और सरकार इसे आगे जारी रखने पर विचार कर रही है।
 
पिछली बीजद सरकार ने 2015 में ‘अन्वेषा योजना' शुरू की थी। इस योजना के तहत आर्थिक एवं सामाजिक रूप से हाशिए पर रह रहे एसटी और एससी समुदायों के छात्रों को शहरों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में शिक्षा दी जाती है और सरकार ट्यूशन, वर्दी, किताबें, परिवहन, आवास, पोषण सुविधा आदि के लिए भुगतान करती है।
 
इस मुद्दे पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि एक आदिवासी नेता (मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी) के नेतृत्व वाली सरकार आदिवासी और दलित छात्रों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार ने एक ऐसी योजना को बंद कर दिया है जिसने आदिवासियों और दलितों में उम्मीद जगाई थी। यह भाजपा सरकार का ‘मनुवादी’ रवैया है जिसका उद्देश्य आदिवासियों एवं दलितों को हाशिए पर रखना और उनकी प्रगति में बाधा डालना है।’’
 
कदम ने कहा कि राज्य की 40 प्रतिशत आबादी आदिवासियों और दलितों की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री आदिवासी हैं इसलिए हमें उम्मीद थी कि एसटी और एससी को उनके लाभ मिलते रहेंगे लेकिन चीजें बिल्कुल अलग हैं।’’
 
बीजद विधायक गणेश्वर बेहरा ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई अन्वेषा योजना जैसी योजनाओं की वजह से ओडिशा में स्कूल छोड़ने की दर 2023-24 में घटकर 18.1 प्रतिशत रह गई जो 2021-22 में 33 प्रतिशत थी।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने जनसभाओं में स्वयं घोषणा की है कि सरकार आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। क्या शहरों के अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में उन्हें प्रवेश न देकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का यह उदाहरण है?’’
 
गोंड ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह योजना 2015 में शुरू की गई थी और 17 जिलों में लगभग 20,473 छात्र विभिन्न छात्रावासों में रहकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।