‘ऑपरेशन सिंदूर ने साबित की नौसेना की तत्पर युद्ध क्षमता’: नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 30-11-2025
'Operation Sindoor proved the Navy's ready combat capability': Navy Chief Admiral Tripathi
'Operation Sindoor proved the Navy's ready combat capability': Navy Chief Admiral Tripathi

 

पुणे

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय नौसेना की सतत युद्ध तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का सशक्त उदाहरण है। उन्होंने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मात्र 96 घंटों के भीतर नौसेना ने जहाजों की तैनाती, हथियारों की फायरिंग और आक्रामक युद्धाभ्यास के माध्यम से ऐसा दबाव बनाया कि पाकिस्तानी नौसेना अपने बंदरगाहों से बाहर निकलने की स्थिति में ही नहीं रही।

एडमिरल त्रिपाठी नौसेना फाउंडेशन पुणे चैप्टर द्वारा आयोजित एडमिरल जेजी नाडकर्णी स्मारक व्याख्यान में बोल रहे थे। विषय था— ‘भू-राजनीति, प्रौद्योगिकी और रणनीति के निरंतर प्रवाह के बीच भारतीय नौसेना की गति’।

उन्होंने कहा कि आज युद्ध बिना किसी चेतावनी के शुरू हो जाते हैं, और ऐसे परिवेश में नौसेना की निरंतर तैयारियां ही देश की ताकत का वास्तविक परिचय हैं। “ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारतीय नौसेना न सिर्फ युद्ध के लिए तैयार है बल्कि जरूरत पड़ने पर समुद्र से निर्णायक शक्ति भी प्रदान कर सकती है,” उन्होंने कहा।

एडमिरल त्रिपाठी के अनुसार, ऑपरेशन में उत्तरी हिंद महासागर में कैरियर बैटल ग्रुप की उपस्थिति ने पाकिस्तान पर सामरिक दबाव बढ़ाया। कैरियर बैटल ग्रुप में विमानवाहक पोत के साथ विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियों जैसे युद्धपोत शामिल होते हैं।

उन्होंने बताया कि गैर-राज्य तत्व—जो पहले राष्ट्र-स्तरीय संघर्षों में ही सक्रिय थे—अब व्यवस्थित हिंसा और हमले करने में सक्षम हो गए हैं। ऐसे में नौसेना की सभी इकाइयों का युद्ध के लिए तैयार रहना अनिवार्य हो गया है, चाहे वह समुद्री सुरक्षा, पुलिसिंग या आपात प्रतिक्रिया की भूमिका ही क्यों न निभा रही हों।

एडमिरल ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना हिंद-प्रशांत में निरंतर सक्रिय है, जहां वह समुद्री डकैती से लेकर आपात स्थितियों तक, हर परिस्थिति में बिना किसी भेदभाव के जहाजों व चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।उन्होंने दोहराया, “जब वैश्विक समुद्र में अस्थिरता होती है, दुनिया स्थिर प्रकाश स्तंभ ढूंढती है—भारत यह भूमिका निभा सकता है। समुद्र में हमारी कार्रवाई यही संदेश देती है।”