सेवा का भाव रखने वाले ही आईआईसीसी का नेतृत्व करें: डॉ परवेज़ हयात

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 30-07-2024
Only those who have a sense of service should lead IICC: Dr. Parvez Hayat
Only those who have a sense of service should lead IICC: Dr. Parvez Hayat

 

नई दिल्ली
 
दिल्ली के प्रतिष्ठत इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (आईआईसीसी) का चुनाव आगामी 11 अगस्त को होना है . इसको लेकर गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. कई योद्धा मैदान में भाग्य आज़मा रहे हैं. हर कोई मतदाताओं को लुभाने पर लगा है. अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, चर्चित ब्यूरोक्रेट एवं भारत सरकार के पूर्व सचिव अफ़ज़ल अमानुल्लाह, आसिफ़ हबीब, अबरार अहमद, और डॉ माजिद तलिकोटी अपने-अपने पैनल के साथ मैदान में हैं.
 
अध्यक्ष – 1 , उपाध्यक्ष – 1 , बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी – 7 , और कार्यकारिणी सदस्य – 4 समेत कुल तेरह पदाधिकारियों का चुनाव हर पांच साल में होता है. आईआईसीसी के लाइफ़ मेम्बर इसके मतदाता होते हैं.
 
देश और विदेश में रह रहे चार हज़ार से अधिक इसके लाइफ़ मेम्बर हैं. कुछ तकनीकी कारणों से इस बार 2054 सदस्य ही मतदान करने के योग्य हैं. इस बार का चुनाव काफ़ी रोचक हो गया है. सिराज कुरैशी पिछले बीस साल से अध्यक्ष पद पर विराजमान थे. उनकी आयु 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है इसलिए वो इस बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. आईआईसीसी के नियम के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए अधिकतम आयु 75 वर्ष निर्धारित की हुई है. 
 
दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों समेत मुम्बई, हैदराबाद, बंगलुरू, चैन्नई, पटना, लखनऊ, अलीगढ़ मे अलग-अलग पैनल के उम्मीदवार चुनावी सभा करके मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं. अभी तक के रुझानों से मालूम हो रहा है कि मतदाता बदलाव के मूड में हैं. 
 
आईआईसीसी के पूराने सदस्य और पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ परवेज़ हयात इस बार के चुनाव में काफ़ी सक्रिय नज़र आ रहे हैं. उनकी मानें तो मतदाता इस बार पूरानी टीम को ‘हो गया बस’ कहते नज़र आ रहे हैं. दिल्ली में आयोजित एक सभा में डॉ परवेज़ हयात ने कहा कि इस बार मतदाता बहुत ही समझदारी से उम्मीदवारों को निर्वाचित करना चाहते हैं. अभी तक के रूझानों के हिसाब से दो पैनल रेस में है. सलमान ख़ुर्शीद पैनल और टीम अफ़ज़ल अमानुल्लाह. 
 
डॉ. परवेज़ की मानें तो सलमान ख़ुर्शीद सुप्रीम कोर्ट के बहुत बड़े वकील हैं. उनके पास आईआईसीसी को देने के लिए समय नहीं है. यही कारण है कि आईआईसीसी में 2009 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था.
 
इस बार उनके साथ जो दूसरा सबसे बड़ा माइनस प्वाइंट है वो ये कि उनकी आयु 72 वर्ष से अधिक हो चुकी है. ऐसे में मतदाता मिड ट्रम पोल के लिए वोट देना नहीं चाहते . सलमान ख़ुर्शीद मतदाता को ये भी समझाने में असफल हैं कि केन्द्र में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, क़ानून मंत्री और विदेश मंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री रहने के बावजूद उन्होंने देश और समाज के लिए क्या काम किया. 
 
डॉ परवेज़ का कहना है कि जब उतने महत्त्वपूर्ण पद पर रहकर सलमान ख़ुर्शीद ने देश और समाज के लिए कुछ ऐसा नहीं किया जो लोगों को याद हो तो फिर आईआईसीसी का अध्यक्ष बन कर वो कौन सा भला कर पाएंगे. 
 
पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ परवेज़ हयात का मानना है कि अफ़ज़ल अमानुल्लाह तेज़-तर्रार आईएएस अधिकारी रहे हैं. बिहार सरकार में गृह सचिव के रूप में, केन्द्र सरकार में कई मंत्रालयों में अलग-अलग पदों पर रहकर और सऊदी अरब में कॉंसिल जनरल के रूप में उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. बिहार में धार्मिक स्थलों की बांड्री करवाकर साम्प्रदायिक दंगे को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म कराने के लिए श्री अमानुल्लाह को बिहार की जनता याद करती है. सऊदी अरब में हज के दौरान हर साल होने वाली आग लगने की घटनाओं पर श्री अमानुल्लाह की कोशिश से अब स्थायी रूप से क़ाबू पा लिया गया है.
 
इस तरह के दर्जनों बड़े काम श्री अमानुल्लाह ने किए हैं जिसे आमजन याद करते हैं. श्री अफ़ज़ल अमानुल्लाह उच्च शिक्षाप्राप्त, योग्य, अनुभवी और बेहद ईमानदार इंसान हैं. इससे भी बड़ी बात कि उनके पास आईआईसीसी को देने के लिए पूरा समय है. आईआईसीसी, जो कि राजनीति का अड्डा बन गया है , उसको अच्छा बनाने के लिए फुलटाइम अध्यक्ष और योग्य टीम की ज़रूरत है. 
 
महिला अधिकारों के लिए सक्रिय समाजसेवी सैयदा क़ुदसिया फ़ातिमा ने कहा कि अफ़ज़ल अमानुल्लाह साहब की कोशिशों का नतीजा है कि आज महिलाएं बिना पुरूष रिश्तेदारों के हज यात्रा पर जा सकती हैं. जबकि पहले महिलाओं को अपने किसी पुरूष रिश्तेदार के साथ ही हज पर जाने की अनुमति होती थी. सुश्री क़ुदसिया ने कहा कि श्री अमानुल्लाह की सोच ज़ात, बिरादरी, क्षेत्र और लिंग (महिला-पुरुष) से ऊपर है. आईआईसीसी को ऐसे रहनुमा की ज़रूरत है. अब ये तो 12 अगस्त को ही पता चलेगा कि सदस्य क्या निर्णय लेते हैं.