Odisha: Lakhs of people gathered to see the bathing ritual of Lord Jagannath in Puri
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित लाखों श्रद्धालु भीषण गर्मी के बीच बुधवार को 12वीं सदी के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में एक खुले पंडाल में आयोजित भगवान जगन्नाथ के पारंपरिक स्नान अनुष्ठान को देखने के लिए यहां एकत्र हुए.
इससे पहले सुबह श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को पारंपरिक 'पहंडी' (शोभायात्रा) के साथ 'स्नान मंडप' (स्नान वेदी) में लाया गया.
उन्होंने बताया कि तीनों को (भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को) स्नान मंडप पर स्नान कराया जाता है, जो ग्रांड रोड के सामने स्थित एक ऊंचा स्थान है, जहां भक्तों को स्नान अनुष्ठान देखने का अवसर मिलता है. एसजेटीए के अधिकारियों ने बताया कि भगवान विष्णु का 'चक्र अस्त्र' माने जाने वाले श्री सुदर्शन को भी स्नान के लिए तीनों देवताओं के साथ लाया गया. उन्होंने बताया कि 'पहंडी' अनुष्ठान' सुबह नौ बजे तक संपन्न हो गया.
श्लोकों के उच्चारण के बीच मंदिर परिसर के अंदर 'सुना कुआं' (स्वर्ण कुआं) से लाए गए पवित्र और सुगंधित जल के 108 घड़े देवताओं पर डाले गए. भगवान जगन्नाथ पर 35 घड़ों का जल डाला गया, जबकि भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को क्रमशः 33 और 22 घड़ों के जल से स्नान कराया गया. श्री सुदर्शन पर कुल 18 घड़ों का जल चढ़ाया गया. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पुरी के सांसद संबित पात्रा के साथ मुख्यमंत्री ने उत्तर द्वार से मंदिर में प्रवेश किया और सुबह की प्रार्थना तथा पारंपरिक शोभायात्रा देखी.
इस पर्व को देव स्नान पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, जो ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह साल में पहली बार होता है जब मंदिर के गर्भगृह से लकड़ी की मूर्तियों को बाहर लाया जाता है और स्नान अनुष्ठान के लिए 'स्नान मंडप' में रखा जाता है. इसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन भी माना जाता है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री माझी ने कहा, ‘‘पहली बार मुझे स्नान मंडप पर भगवान की पहंडी और मंगला आरती देखने का अवसर मिला। मैंने सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना की.
उन्होंने कहा कि उन्होंने ग्रांड रोड पर रथ निर्माण का भी निरीक्षण किया. पुरी के पुलिस अधीक्षक विनीत अग्रवाल ने बताया कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए 70 प्लाटून (करीब 2100 जवान) और 450 पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई है। भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और समुद्र किनारे भी सुरक्षा बल तैनात हैं. पहली बार कृत्रिम मेधा-आधारित निगरानी कैमरों का प्रयोग कर एकीकृत नियंत्रण कक्ष के माध्यम से वास्तविक समय में यात्रा की निगरानी की जा रही है.