पैगंबर विवाद से भारत की प्रतिष्ठा प्रभावित, संबंधित पक्षों को समझाने में सफल रहेः एनएसए डोभाल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 21-06-2022
एनएसए अजीत डोभाल
एनएसए अजीत डोभाल

 

नई दिल्ली. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा की नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा की गई टिप्पणियों के विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि उन्होंने देश को इस तरह से पेश किया है, जो सच्चाई से बहुत दूर है. किंतु हम संबंधित पक्षों को भारत की स्थिति समझाने में सफल रहे.

एएनआई के एक साक्षात्कार में पूछा गया कि क्या पैगंबर विवाद के विरोध में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, एनएसए डोभाल ने कहा, ‘‘यह हुआ, इन अर्थों में कि भारत को उस तरह से दर्शाया गया या भारत के खिलाफ कुछ गलत सूचना फैलाई गई है, जो वास्तविकता से बहुत दूर है. संभवतः हमें उन्हें शामिल करने और उनसे बात करने और उन्हें मनाने की आवश्यकता है. और आप पाएंगे कि हम जहां भी गए हैं, जहां कहीं भी हमने संबंधित लोगों के साथ बातचीत की है, बाहर और अंदर दोनों जगह, हम उन्हें समझाने में सफल रहे हैं. जब लोग भावनात्मक रूप से उत्तेजित हो जाते हैं, तो उनका व्यवहार थोड़ा असंगत होता है.’’

डोभाल ने हाल ही में अफगानिस्तान में एक सिख धर्मस्थल पर बमबारी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि भारत उस देश में अल्पसंख्यकों को हर तरह की मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने बड़ी संख्या में सिखों को वीजा दिया है और जैसे ही उड़ानें उपलब्ध होंगी, उनमें से कुछ वापस आ जाएंगे. हम सिखों के मामलों को बहुत सहानुभूति से देखेंगे. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. हमने वहां के सिखों और हिंदुओं को आश्वासन दिया है कि भारत अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा.’’

जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की लगातार हो रही हत्याओं पर डोभाल ने कहा कि सरकार इससे निपट रही है. ‘‘2019 के बाद, लोगों का मूड बदल गया है. वे अब पाकिस्तान और आतंकवाद के पक्ष में नहीं हैं. आज हुर्रियत कहाँ है? सभी बंद कहाँ हैं? कुछ लोग हैं, जो गुमराह हो रहे हैं और इसमें शामिल हो रहे हैं. हम उन्हें मनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उनके परिजन प्रयास कर रहे हैं. कुछ तंजीम (आतंकवादी समूह) समस्या पैदा कर रही हैं. हम उनसे पूरे संकल्प के साथ लड़ रहे हैं. हम आतंकवाद से नहीं निपटते. हमें आतंकवादी से निपटना है. हमें पूरी उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में हम स्थिति को नियंत्रण में लाने में सक्षम होंगे.’’

कश्मीरी पंडितों को असुरक्षित महसूस करने पर डोभाल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि सभी कश्मीरी पंडितों की भावना है. हां, वे एक कमजोर वर्ग हैं. उन्हें सुरक्षा की जरूरत है. सरकार ने अतीत में कई उपाय किए हैं. शायद अभी और भी बहुत कुछ करना है. और ऐसा किया जा रहा है. कोई भी सरकार प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा नहीं दे सकेगी. सबसे अच्छा यह है कि हम आतंकवादियों के खिलाफ आक्रामक हो जाएं. और सुनिश्चित करें कि जो लोग (कश्मीरी पंडितों को) जान-माल की धमकी दे रहे हैं, उनका हिसाब हो.”

डोभाल ने यह भी कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार है लेकिन केवल अपनी शर्तों पर. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने विरोधी की पसंद पर शांति और युद्ध नहीं कर सकते. अगर हमें अपने हितों की रक्षा करनी है, तो हम तय करेंगे कि कब, किसके साथ और किन शर्तों पर हमें शांति मिलेगी. जब हमारे मूल हित शामिल हैं, तो किसी भी कीमत पर शांति का कोई सवाल ही नहीं है. शांति होनी चाहिए और हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. हम उनके साथ अच्छे संबंध बनाना चाहेंगे. लेकिन, निश्चित रूप से, आतंकवाद के प्रति सहनशीलता की सीमा बहुत कम है. हम अपने नागरिकों को आतंकवादियों के लिए आसान शिकार नहीं बनाना चाहेंगे. पिछले आठ वर्षों में, देश ने जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कोई आतंकी हमला नहीं देखा है, जहां छद्म युद्ध चल रहा है.’’

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध पर डोभाल ने कहा, ‘‘चीन के साथ हमारा लंबे समय से लंबित क्षेत्रीय विवाद है. हमने चीन को अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है. वे जानते हैं कि हम किसी भी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेंगे. कुछ अप्रिय घटनाएं हुई हैं. हम बातचीत के जरिए कुछ मुद्दों को सुलझाने में सफल रहे हैं. कुछ बिंदु अभी बाकी हैं. हम अपने प्रयास जारी रखेंगे. साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सतर्क रहें और अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम हों.’’