बिहार में NDA की सुनामी: सुशासन जीता, भ्रम हारा ---- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 15-11-2025
NDA's tsunami in Bihar: Good governance wins, confusion loses ---- Muslim Rashtriya Manch
NDA's tsunami in Bihar: Good governance wins, confusion loses ---- Muslim Rashtriya Manch

 

नई दिल्ली
 
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम भारतीय लोकतंत्र में एक ऐसा मोड़ लेकर आया है, जिसे केवल एक राजनीतिक जीत या हार के पैमाने से नहीं मापा जा सकता। यह चुनाव उस गहरे सामाजिक परिवर्तन और जागरूकता का प्रतीक बन गया है, जिसमें जनता ने भ्रम, अफवाह और नकारात्मकता की राजनीति को खुलेआम ठुकरा दिया है। NDA को 243 में से 200 से अधिक सीटों के आसपास पहुँचते देखना सिर्फ राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है—कि अब बिहार की जनता स्थिरता, सुशासन और भरोसेमंद शासन के पक्ष में एकजुट होकर खड़ी है। इस निर्णायक और ऐतिहासिक क्षण पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने वह बात कही जो पूरे बिहार, पूरे उत्तर भारत और पूरे राजनीतिक परिदृश्य में गूंज रही है—“यह परिणाम सिर्फ जीत नहीं, यह बिहार की राजनीतिक चेतना का पुनर्जन्म है। यह चुनाव बताता है कि लोग गलत प्रचार, fabricated narratives और भ्रम की राजनीति से बाहर आ चुके हैं। यह जनादेश बताता है कि विकास, सुरक्षा और स्थिरता ही जनता की प्राथमिकता है।”
 
शाहिद सईद ने कहा कि पूरे चुनाव के दौरान जिस तरह विरोधियों ने SIR, मतदाता सूची संशोधन, वोटर कटौती और “चुनाव चोरी” जैसे नकारात्मक दावे किए, उससे वातावरण में अविश्वास और भ्रम पैदा करने की कोशिश की गई। लेकिन बिहार की जनता ने मैदान में खड़े होकर उन दावों को उसी दृढ़ता से नकार दिया। उन्होंने कहा कि जनता ने इस बार यह साबित कर दिया कि भावनाओं से नहीं—तथ्यों, कार्यों और विश्वास से चुनाव जीते जाते हैं। NDA को जो प्रचंड जनादेश मिला, वह इसी विश्वास की प्रतिध्वनि है। शाहिद सईद का यह बयान सिर्फ राजनीतिक व्याख्या नहीं, बल्कि आज के जागरूक मतदाता की मानसिकता की गहरी समझ है, जो बताती है कि अब नकारात्मक राजनीति की उम्र समाप्त हो चुकी है।
 
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शाहिद अख्तर ने इस पूरे चुनाव परिणाम को “लोकतंत्र की सबसे बड़ी धुलाई” बताते हुए कहा कि जनता ने अपने वोट के जरिए यह स्पष्ट संदेश दिया है कि “जंगलराज” जैसी व्यवस्थाओं की छाया भी अब बिहार पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संयुक्त नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक दृढ़ता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता ने बिहार को उस दिशा में ले जाया है जहाँ जनता डर, भ्रम और पिछली राजनीतिक करतूतों के बोझ से मुक्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे जितनी हवा बनाए, चाहे जितने आरोप मढ़े, जनता ने जमीन पर चल रहे काम और सरकार के प्रति बढ़ते भरोसे को निर्णायक माना। इसलिए यह जनादेश किसी पार्टी की जीत नहीं, बल्कि भ्रम और नकारात्मकता की पराजय है।
 
डॉ. शाहिद अख्तर ने यह भी महत्वपूर्ण बात कही कि मुस्लिम समाज में इस बार एक अभूतपूर्व राजनीतिक चेतना दिखाई दी। शिक्षित वर्ग, युवा पीढ़ी और बुद्धिजीवियों ने इस चुनाव में “अतीत की राजनीति” को निर्णायक रूप से ठुकराकर “भविष्य की राजनीति” को चुना। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज अब डर, अफवाह या नकारात्मक प्रचार से संचालित नहीं होता; वह विकास, रोजगार, सुरक्षा और सम्मान जैसी ठोस बातों को प्राथमिकता देता है। यही कारण है कि इस चुनाव में मुस्लिम समाज ने यह दिखा दिया कि उसका वोट किसी एक पार्टी की बपौती नहीं, बल्कि बदलते समय की नई वास्तविकता का प्रतीक है।
 
इसी क्रम में, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजक और महिला विंग प्रमुख डॉ. शालिनी अली ने चुनाव परिणाम को “महिला क्रांति” की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि बिहार की महिलाओं ने इस बार जिस तरह 69% से 74% तक का रिकॉर्ड मतदान किया, उसने पूरे चुनाव की दिशा ही बदल दी। यह संख्या सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बिहार की महिलाएँ अब राजनीति की निर्णायक धुरी बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने सुरक्षा, सम्मान, शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में जो अद्भुत परिवर्तन देखा, वही उन्हें NDA के पक्ष में मजबूती से खड़ा कर गया। महिलाओं ने यह साफ संदेश दिया कि वे अब भावनाओं पर नहीं, बल्कि नीतियों और परिणामों पर वोट देंगी। डॉ. शालिनी ने यह भी कहा कि बिहार की मुस्लिम महिलाओं ने पुराने भय, अफवाहों और समुदाय-आधारित दुष्प्रचार को पूरी तरह नकारकर अपने बच्चों और परिवारों के भविष्य के लिए वोट दिया।
 
इन तीनों नेताओं के सामूहिक बयान ने यह साफ कर दिया कि बिहार का यह चुनाव सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं था, बल्कि यह राजनीतिक चेतना, सामाजिक परिवर्तन और लोकतांत्रिक परिपक्वता का सशक्त प्रदर्शन था। NDA की सुनामी यह दिखाती है कि जनता अब जाति, धर्म, भ्रम और उत्तेजना से ऊपर उठ गई है और ठोस विकास कार्यों को चुन रही है। यह जनादेश विपक्ष की राजनीति के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अब नकारात्मकता, आरोप और भ्रम फैलाने वाले प्रयोग नहीं चलेंगे। बिहार की जनता ने एक नई राजनीतिक दिशा चुन ली है।
 
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने विस्तृत बयान में कहा कि यह चुनाव पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है—कि भारत का मतदाता अब परिपक्व हो चुका है। वह सिर्फ नारों पर नहीं, बल्कि वास्तविक काम पर वोट करता है। यह बिहार की जनता की राजनीतिक समझदारी है, यह लोकतंत्र की नई परिभाषा है, और यह वह संदेश है जो आने वाले वर्षों में पूरे देश की राजनीति को नई दिशा देगा। मंच ने कहा कि बिहार ने इस चुनाव में विकास को चुना, और बाकी सब राजनीतिक भ्रम मिट गए।