मुंबई की अदालतों ने 2025 में बम धमाकों के सभी मामलों में आरोपी बरी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 25-12-2025
Mumbai courts acquitted all those accused in the 2025 bomb blast cases.
Mumbai courts acquitted all those accused in the 2025 bomb blast cases.

 

मुंबई

मुंबई की अदालतों ने 2025 में 2008 के मालेगांव विस्फोट और 2006 के सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। हालांकि, ट्रेन विस्फोट मामले में 12 मुस्लिम आरोपियों के बरी होने के खिलाफ अभियोजन एजेंसियों ने उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का निर्णय लिया है।

21 जुलाई को बंबई उच्च न्यायालय ने 2006 में मुंबई में हुए ‘7/11’ सिलसिलेवार ट्रेन धमाकों के मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की संलिप्तता साबित करने में विफल रहा। महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) का आरोप था कि आरोपी प्रतिबंधित ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) के सदस्य थे और उन्होंने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के साथ साजिश की थी। अदालत ने सभी इकबालिया बयानों को अस्वीकार करते हुए उन्हें ‘कॉपी-पेस्ट’ बताया।

31 जुलाई को एक विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने में सफल नहीं हो सका। मालेगांव विस्फोट में छह लोग मारे गए और 101 घायल हुए थे।

इस साल मुंबई की अदालतों और उच्च न्यायालय में कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों ने भी सुर्खियाँ बटोरीं। सितंबर में उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन रोकने का आदेश दिया। अठारह नवंबर को धन शोधन मामले में राकांपा नेता नवाब मलिक के खिलाफ मुकदमे का रास्ता साफ हुआ।

बॉलीवुड और उच्च न्यायालय के बीच भी संवाद रहा। गीतकार जावेद अख्तर ने कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का मामला सुलझा लिया। इसके अलावा कई फिल्मी हस्तियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की मांग की, जिसमें उन्होंने बिना अनुमति उनके वीडियो, तस्वीर और ऑडियो के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। अदालत ने सभी को राहत प्रदान की।

साल 2025 ने मुंबई की अदालतों को बम विस्फोट, हाईप्रोफाइल मुकदमों और डिजिटल युग के कानूनी मुद्दों के दृष्टिकोण से एक चुनौतीपूर्ण और चर्चित वर्ष बना दिया।