मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने राज्यभर में जारी उन सभी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों की तत्काल समीक्षा और रद्दीकरण का आदेश दिया है, जो निर्धारित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के अनुरूप जारी नहीं किए गए हैं या जिनमें अनियमित देरी पाई गई है।
सोमवार को जारी सरकारी संकल्प (जीआर) में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आधार कार्ड को जन्म संबंधी विवरण दर्ज करने या बदलने के लिए पर्याप्त प्रमाण न माना जाए। सरकार ने कहा कि कई जिलों में बिना मूल दस्तावेजों के प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायतें मिली हैं।
कुल 14 जिलों—अमरावती, जलना, छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, अकोला, परभणी, बीड और नासिक सहित—को अनियमित रूप से देरी से जारी प्रमाणपत्रों की उच्च संख्या के कारण चिन्हित किया गया है।
सरकार ने राजस्व, स्वास्थ्य और नगर निकायों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे गलत प्रमाणपत्रों को वापस लेकर पुनः जांच करें। जो प्रमाणपत्र कानूनी मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें तत्काल रद्द किया जाए और उनकी प्रविष्टियों को सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) पोर्टल से हटाया जाए।
गौरतलब है कि भाजपा नेता किरिट सोमैया ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा देरी से जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त कर महाराष्ट्र में बसने की शिकायतें उठाई थीं।
यह सरकारी आदेश ऐसे समय जारी हुआ है जब नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) चल रहा है। महाराष्ट्र में यह प्रक्रिया अगले वर्ष फरवरी से शुरू होने की संभावना है।
जीआर में कहा गया कि कई जन्म–मृत्यु प्रमाणपत्र अस्पताल के दस्तावेज, स्कूल रिकॉर्ड या मूल जन्म प्रविष्टियों जैसी आवश्यक पुष्टि के बिना जारी किए गए थे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि आधार कार्ड को जन्म प्रमाण के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता।
11 अगस्त 2023 को जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन अधिनियम में हुए संशोधन के अनुसार, केवल तहसीलदार, एसडीओ और जिला कलेक्टर ही देरी से जारी प्रमाणपत्रों के प्राधिकृत अधिकारी हैं। संशोधन के बाद जारी किए गए ऐसे सभी प्रमाणपत्र, जिनकी विधिवत जांच नहीं हुई, उन्हें वापस लेकर सक्षम अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाना अनिवार्य है।
यदि किसी व्यक्ति के आधार कार्ड पर दर्ज जन्म तिथि और आवेदन में दी गई तिथि में अंतर पाया जाता है तो अधिकारियों को तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करनी होगी। धोखाधड़ी या हेरफेर की आशंका वाले मामलों में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
14 चिन्हित जिलों के स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे पुनर्मिलान अभियान चलाकर ऐसे प्रमाणपत्रों की मूल प्रतियां वापस लें। कई मामलों में तहसीलदार की अनुमति के बिना देरी से पंजीकरण भी किए गए हैं, जिन्हें तुरंत जांच में शामिल करने का आदेश दिया गया है।
यदि लाभार्थी रद्द किया गया प्रमाणपत्र वापस नहीं करता, तो पुलिस की मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं। जिन मामलों में आवेदक लापता हों, उनकी सूची तैयार कर कानूनी कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है।जिला कलेक्टरों को राजस्व विभाग, स्थानीय निकायों और पुलिस के साथ एकदिवसीय समीक्षा बैठकें आयोजित करने और प्रगति रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।