ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
"भगत सिंह हमारे आदर्श नहीं हो सकते, वे कोई पवित्र हस्ती नहीं हैं." "भगत सिंह की हिंसा जायज़ है लेकिन सिख आंदोलन में हिंसा जायज़ नहीं है. यह दोहरा मापदंड है." "भगत सिंह ने लेख लिखे जिसमें उसने पंजाबी बोली पर विरोध किया वो आंदोलकारी था मगर उनके पास विविधता का विचार नहीं था" : खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह
एक स्वतंत्र पत्रकार पुनिया ने यह इंटरव्यू लिया था जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसके साथ ही लोगों ने अमृतपाल सिंह के इस बयान पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है, एक फेसबुक यूजर ने लिखा है, "भगत सिंह के खिलाफ आपका यह बयान आपकी ताबूत में आखिरी कील साबित होगा." विश पोनप्पा ने लिखा है, "इस आदमी को भारतीय सेना के सामने खड़ा कर दो. यह आदमी अपने आप में एक मजाक है."
एक अन्य यूजर दृष्टि डेका ने लिखा, "भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, बिस्मिल, चंद्रशेखर.. और उनके जैसे कई अन्य.. ब्रिटिश राज के अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे थे.. फूट डालो और राज करो की नीतियों के खिलाफ, जिसके द्वारा मुट्ठी भर ब्रिटिश लाखों भारतीयों पर शासन करते थे.. उनके पास था एक ही लक्ष्य, एक सपना.. अंग्रेजों को भगाने और एक स्वतंत्र राष्ट्र को जन्म देने के लिए... उस सपने के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी.. उन्होंने किसी को भी उनका अनुसरण करने या उनकी पूजा करने के लिए नहीं कहा.. यह दुखद है कि कुछ लोग उन्हें और दूसरों को प्रेरणा के रूप में लेने के बजाय अपने स्वार्थ के लिए उन्हें बुरा बता रहे हैं.. किसी को भी यह अधिकार नहीं है."