बेंगलुरु
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने राज्य की अनुसूचित जातियों (SC) के भीतर आंतरिक आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इसके तहत 101 जातियों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित कर आरक्षण का बंटवारा किया जाएगा।
मंगलवार को विशेष बैठक में कैबिनेट ने न्यायमूर्ति एच. एन. नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों पर चर्चा की। आयोग ने 4 अगस्त को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 1,766 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे 7 अगस्त को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया।
राज्य में अनुसूचित जातियों को कुल 17 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। नई व्यवस्था के तहत –
SC (राइट) को 6 प्रतिशत
SC (लेफ्ट) को 6 प्रतिशत
तथाकथित ‘स्पर्शनीय’ दलित समुदायों (भंजारा/लंबाणी, भोवी, कोरमा, कोरचा) और अति पिछड़े व घुमंतू समुदायों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने अनुसूचित जातियों के भीतर 5 समूह बनाने का सुझाव दिया था –
अति पिछड़े समुदाय (समूह A) : 1%
SC (लेफ्ट)/मडिगा (समूह B) : 6%
SC (राइट)/होलेया (समूह C) : 5%
‘स्पर्शनीय’ दलित (समूह D) : 4%
आदि कर्नाटक, आदि द्रविड़ और आदि आंध्र (समूह E) : 1%
हालाँकि, कैबिनेट ने कुछ बदलाव करते हुए समूहों का पुनर्गठन किया है। समूह A को ‘स्पर्शनीय’ दलितों के साथ जोड़ा गया है, जबकि समूह E को समूह B और C में समाहित कर दिया गया।
कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल ने कहा कि बैठक लगभग ढाई घंटे चली और इसमें सभी मंत्री संतुष्ट नजर आए। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विधानसभा में इस पर विस्तृत बयान देंगे।
वहीं, पिछड़ा वर्ग विकास मंत्री शिवराज तंगड़गी ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताते हुए कहा कि अनुसूचित जातियों को तीन श्रेणियों – राइट, लेफ्ट और अन्य – में बाँटकर क्रमशः 6, 6 और 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
हालाँकि, सूत्रों का कहना है कि अति पिछड़े और घुमंतू समुदाय इस निर्णय से पूरी तरह खुश नहीं हैं।
कर्नाटक सरकार ने नवंबर 2024 में न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग का गठन किया था। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले के बाद उठाया गया, जिसमें अदालत ने राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-श्रेणियां बनाकर आंतरिक आरक्षण देने की संवैधानिक अनुमति दी थी।