नई दिल्ली
— जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव 2024-25 में वामपंथी गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार में से तीन शीर्ष पदों पर कब्जा कर लिया, जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी उल्लेखनीय वापसी करते हुए इतिहास रच दिया.
चुनाव परिणामों के अनुसार, आइसा के नीतीश कुमार अध्यक्ष चुने गए, जबकि डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (डीएसएफ) से मनीषा उपाध्यक्ष और मुन्तेहा फातिमा महासचिव निर्वाचित हुईं. एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद पर वैभव मीना को विजयी बनाकर करीब एक दशक लंबे सूखे का अंत किया.
मतगणना के दौरान अधिकतर समय एबीवीपी के उम्मीदवार चारों शीर्ष पदों पर आगे चल रहे थे, जिससे जेएनयू में वामपंथी वर्चस्व को कड़ी चुनौती मिली. हालांकि अंतिम परिणामों में एबीवीपी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव पदों पर पीछे रह गई, लेकिन हार का अंतर बहुत कम रहा, जो परिसर में राजनीतिक माहौल में बदलाव का संकेत देता है.
25 अप्रैल को हुए चुनावों में, जो पहले कैंपस हिंसा के चलते स्थगित कर दिए गए थे, लगभग 70 प्रतिशत छात्रों ने उत्साहपूर्वक मतदान किया। करीब 5,500 छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस बार मुकाबला चतुष्कोणीय रहा, जिसमें आइसा-डीएसएफ गठबंधन, एबीवीपी और एनएसयूआई-फ्रैटर्निटी गठबंधन आमने-सामने थे.
पार्षद स्तर के चुनावों में एबीवीपी ने 42 में से 23 सीटें जीतकर 1999 के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. संगठन ने स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में जीत हासिल की और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, इंटरनेशनल स्टडीज और संस्कृत एवं इंडिक स्टडीज में भी महत्वपूर्ण बढ़त बनाई. एबीवीपी के इस प्रदर्शन को कैंपस राजनीति में "टर्निंग पॉइंट" बताया जा रहा है.
नवनिर्वाचित अध्यक्ष नीतीश कुमार ने छात्रों को भरोसा दिलाया, "हम छात्रों और उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारा लक्ष्य हर छात्र की आवाज़ को सम्मान दिलाना है."
उपाध्यक्ष मनीषा ने अपनी जीत को विश्वविद्यालय के नाम करते हुए कहा, "जेएनयू लाल था, लाल है और लाल रहेगा. हम हमेशा छात्रों के लिए काम करते रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे."
महासचिव मुन्तेहा फातिमा ने कहा, "हम छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए पहले भी लड़े हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे."संयुक्त सचिव बने वैभव मीना ने अपनी जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "एक दशक बाद हमें यह सफलता मिली है.एबीवीपी अगले चुनाव में चारों पद जीतने की ओर अग्रसर है. यह जीत भविष्य की बड़ी सफलताओं की नींव है."
गौरतलब है कि चुनाव पहले 18 अप्रैल को होने थे, लेकिन कैंपस में हिंसा के कारण स्थगित कर दिए गए थे. अदालत और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद 25 अप्रैल को शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुआ.