जम्मू
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विभाग के 103 कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश दिया। जांच में सामने आया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ष 2020 में हुई भर्ती प्रक्रिया के दौरान अनियमित और अवैध तरीकों से की गई थी।
यह कार्रवाई फायरमैन और वाहन चालक पदों पर हुई भर्ती में कथित गड़बड़ियों की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट और उसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विस्तृत जांच के निष्कर्षों के आधार पर की गई है।
उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में प्रधान सचिव चंद्राकर भारती ने बताया कि एसीबी की जांच में ओएमआर शीट्स से छेड़छाड़, उत्तर पुस्तिकाओं की जाली स्कैन प्रतियां, और मेरिट सूची में हेरफेर जैसे गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। जांच में यह भी पुष्टि हुई कि 106 उम्मीदवारों के पक्ष में परिणामों में हेरफेर किया गया, जिनमें वास्तविक अंकों से कहीं अधिक अंक दर्शाए गए। यह पूरी प्रक्रिया एक आपराधिक साजिश का हिस्सा पाई गई।
आदेश में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका है कि इन 106 उम्मीदवारों की नियुक्तियां धोखाधड़ी और आपराधिक तरीकों से हासिल की गई थीं, इसलिए उन्हें शुरू से ही अमान्य माना जाता है। ऐसे में इन कर्मचारियों को सेवा में बनाए रखना अवैधता को बढ़ावा देना होगा और इससे जनविश्वास तथा भर्ती प्रक्रियाओं की पवित्रता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
सरकारी आदेश के अनुसार, पहचाने गए 106 अवैध रूप से नियुक्त व्यक्तियों में से तीन की नियुक्तियां पहले ही रद्द की जा चुकी थीं। शेष 103 कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैध घोषित करते हुए उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना उसकी प्राथमिकता है और भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।






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