श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने वरिष्ठ कश्मीरी राजनीतिक नेता, विद्वान और पूर्व हुर्रियत अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे उन्हें हमेशा एक "बहुत ही सभ्य व्यक्ति" के रूप में याद रखेंगे, भले ही उनकी "राजनीतिक विचारधाराएँ पूरी तरह अलग थीं।"
उमर अब्दुल्लाह ने 'एक्स' पर लिखा, "वरिष्ठ कश्मीरी राजनीतिक नेता और विद्वान प्रोफेसर अब्दुल गनी भट साहब के निधन की खबर सुनकर दुःख हुआ। हमारी राजनीतिक विचारधाराएँ भले ही पूरी तरह अलग थीं, लेकिन मैं उन्हें हमेशा एक बहुत ही सभ्य व्यक्ति के रूप में याद रखूँगा।"
उन्होंने आगे कहा, "जब कई लोग मानते थे कि हिंसा ही एकमात्र रास्ता है, तब उन्होंने संवाद के पक्ष में आवाज उठाने का साहस दिखाया। इसी कारण वे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से मिले। मैं प्रार्थना करता हूँ कि प्रोफेसर भट साहब की आत्मा को जन्नत में स्थान मिले। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं।"
प्रोफेसर अब्दुल गनी भट बुधवार को उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर स्थित अपने आवास पर एक छोटी बीमारी के बाद निधन हो गए। उनकी उम्र 90 वर्ष थी।
भट ने 1986 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) की स्थापना की और 1987 के चुनाव में हिस्सा लिया। बाद में वे 1993 में गठित अलगाववादी समूहों के गठबंधन ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कांफ्रेंस (APHC) के अध्यक्ष बने। वे जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस (MCJK) के अध्यक्ष भी रहे, जिसे भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा था।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें "मध्यमार्ग की आवाज़" कहा और लिखा कि भट साहब कश्मीर के इतिहास में शांति और सुलह के पक्षधर थे। मुफ्ती ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से उन्होंने हमेशा मुझे स्नेह दिया, और कठिन समय में मैंने उनसे सांत्वना पाई। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद वे मेरे और मुफ्ती साहब के लिए एक निकट और सम्मानित मित्र बने रहे। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनकी विरासत प्रेरणा देती रहे।"