वक्फ अधिनियम पर जयराम रमेश बोले सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधानिक मूल्यों की जीत

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 15-09-2025
Jairam Ramesh said on Wakf Act that the Supreme Court's order is a victory of constitutional values
Jairam Ramesh said on Wakf Act that the Supreme Court's order is a victory of constitutional values

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ धाराओं पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश का स्वागत किया और कहा कि यह आदेश “न्याय, समानता और बंधुत्व” जैसे संविधानिक मूल्यों की जीत है.
 
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “यह अंतरिम आदेश केवल उन पक्षों की जीत नहीं है जिन्होंने इस कानून का विरोध किया, बल्कि उन सभी सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने संयुक्त संसदीय समिति में इस ‘मनमाने’ कानून के खिलाफ असहमति दर्ज कराई थी. यह आदेश महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपे दुरुपयोगी इरादों को काफी हद तक निरस्त करता है.
 
रमेश ने आगे कहा कि विपक्षी दलों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी थी कि यह कानून ऐसा ढांचा बना देगा जहां कोई भी व्यक्ति वक्फ संपत्ति की स्थिति को कलेक्टर के सामने चुनौती दे सकेगा और मामला न्यायिक प्रक्रिया के दौरान ‘लिंबो’ में रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि “इन धाराओं के पीछे की मंशा हमेशा साफ थी – मतदाता आधार को भड़काना और एक ऐसा प्रशासनिक ढांचा तैयार करना जो धार्मिक विवादों को हवा दे.
 
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पूरी तरह रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निर्णय तक कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी.
 
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि अधिनियम की कुछ धाराओं को सुरक्षा की जरूरत है। अंतरिम आदेश पारित करते हुए पीठ ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी जिसके तहत किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य था। अदालत ने कहा कि जब तक यह तय करने के नियम नहीं बनते कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं, यह प्रावधान लागू नहीं होगा.
 
शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जिसमें कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि कोई वक्फ संपत्ति सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रही है या नहीं। अदालत ने कहा कि कलेक्टर को निजी नागरिकों के अधिकारों का निर्णय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा.
 
इस आदेश पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हमारी संस्थाओं में विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने इसे “हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत” बताया.
 
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अदालत को संसद द्वारा पारित किसी भी कानून की जांच का अधिकार है और सरकार ने अपना पक्ष अदालत में रखा। उन्होंने विपक्षी दलों पर “भ्रष्ट लॉबी” होने का आरोप लगाते हुए कहा कि “पूरे वक्फ सिस्टम में सुधार के लिए यह कानून पारित किया गया है, लेकिन यह लॉबी ‘लाइसेंस टू लूट’ चाहती है और इसी कारण बेबुनियाद हंगामा कर रही है.
 
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को 2 और 3 अप्रैल को क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा में पेश कर पारित किया गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह 5 अप्रैल को कानून बना.