India will not give duty concessions to New Zealand on dairy, vegetables, sugar, copper, aluminium
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
भारत ने न्यूजीलैंड के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में किसानों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के हितों को प्राथमिकता देते हुए डेयरी, पशु उत्पाद, सब्जियां, चीनी, तांबा और एल्युमिनियम जैसे कई संवेदनशील क्षेत्रों में कोई भी शुल्क रियायत नहीं देने का फैसला किया है।
दोनों देशों ने सोमवार को एफटीए वार्ता पूरी होने और तीन महीनों के भीतर समझौते पर हस्ताक्षर होने की घोषणा की। इस समझौते के अगले वर्ष लागू हो जाने की उम्मीद है।
समझौते के तहत जिन उत्पादों को ‘शुल्क रियायत सूची’ से बाहर रखा गया है, उनमें डेयरी उत्पाद (दूध, क्रीम, दही, पनीर), पशु उत्पाद (भेड़ के मांस को छोड़कर), सब्जी उत्पाद (प्याज, चना, मटर, मक्का), चीनी, कृत्रिम शहद तथा पशु, वनस्पति या सूक्ष्मजीव आधारित वसा एवं तेल शामिल हैं।
इनके अलावा हथियार और गोला-बारूद, रत्न एवं आभूषण, तांबा और उससे बने उत्पाद और एल्युमिनियम एवं उससे संबंधित वस्तुओं पर भी भारत, न्यूजीलैंड को किसी तरह की शुल्क रियायत नहीं देगा।
हालांकि, कुछ कृषि उत्पादों में भारत ने सीमित बाजार पहुंच दी है, लेकिन इसे ‘शुल्क दर कोटा’ (टीआरक्यू) और न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) के साथ जोड़ा गया है। इनमें मनुका शहद, सेब, कीवी फल और दवाओं में इस्तेमाल होने वाला एल्ब्यूमिन शामिल हैं।
वर्तमान में न्यूजीलैंड के खास उत्पाद मनुका शहद पर 66 प्रतिशत शुल्क लगता है। समझौते के तहत भारत इस शहद के सालाना 200 टन तक आयात पर रियायत देगा, जिसमें एमआईपी 20 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम तय किया गया है। इस पर पांच साल में 75 प्रतिशत तक शुल्क कटौती की जाएगी। कोटा से अधिक आयात पर एमआईपी 30 डॉलर प्रति किलोग्राम होगा।