संयुक्त राष्ट्र
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा है कि अगले वर्ष की शुरुआत में भारत में आयोजित होने वाला ‘इंडिया–एआई इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन’ वैश्विक स्तर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के भविष्य को दिशा देने में ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के लिए एक अहम अवसर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि ठोस और परिणामोन्मुख पहल है।
जितिन प्रसाद ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत और फ्रांस के स्थायी मिशनों द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं आने वाले समय में एआई के सबसे बड़े उपयोगकर्ता, डेटा सृजनकर्ता और नवाचार के केंद्र होंगी। ऐसे में इन देशों की वैश्विक एआई एजेंडे को आकार देने में सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है।
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस 19–20 फरवरी को नयी दिल्ली में आयोजित होने वाले ‘इंडिया–एआई इम्पैक्ट समिट’ में भाग लेंगे। यह पहली बार होगा जब ‘ग्लोबल साउथ’ के किसी देश में इस स्तर का वैश्विक एआई सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले ब्रिटेन के बलेटचली पार्क, दक्षिण कोरिया के सियोल और फ्रांस के पेरिस में ऐसे सम्मेलन हो चुके हैं।
राज्यमंत्री ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ में अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका के वे देश शामिल हैं, जिन्हें तकनीकी और सामाजिक विकास के मामले में अपेक्षाकृत कम विकसित माना जाता है, लेकिन भविष्य में एआई के प्रभाव को तय करने में इनकी भूमिका निर्णायक होगी।
प्रसाद ने सभी देशों, उद्योग जगत, शोधकर्ताओं, नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सम्मेलन में भाग लेने का आमंत्रण देते हुए कहा कि भारत इस शिखर सम्मेलन को किसी अंतिम लक्ष्य के रूप में नहीं, बल्कि सहयोग, संवाद और साझा समाधान के मंच के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मंच होगा जहां ‘ग्लोबल साउथ’ केवल चर्चा का विषय नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक एआई एजेंडे को सक्रिय रूप से आकार देगा।