मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही, बेहतर मानसून और जीएसटी दरों में सुधार के चलते मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है।
आरबीआई ने इससे पहले अगस्त में वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत और मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थिति में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच भारत में घरेलू स्तर पर महत्वपूर्ण विकास हुए हैं, जिससे वृद्धि और मुद्रास्फीति को लेकर दृष्टिकोण में बदलाव आया है।
उन्होंने कहा, “अच्छे मानसून के कारण वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में मजबूती देखी गई है। इसके साथ ही खुदरा मुद्रास्फीति में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है।”जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के फैसले पर गवर्नर ने कहा कि इससे महंगाई पर नियंत्रण के साथ-साथ उपभोग और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों का भारतीय निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।आरबीआई का अनुमान है कि 2025-26 में तिमाही अनुसार जीडीपी वृद्धि दर इस प्रकार रहेगी:
दूसरी तिमाही: 7.0%
तीसरी तिमाही: 6.4%
चौथी तिमाही: 6.2%
वहीं, 2026-27 की पहली तिमाही के लिए 6.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।
मल्होत्रा ने बताया कि अब तक मुद्रास्फीति की स्थिति अनुकूल बनी हुई है और वास्तविक आंकड़े पहले के अनुमानों से कम रहे हैं। इसका मुख्य कारण है खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट, जिसे बेहतर आपूर्ति संभावनाओं और सरकार द्वारा आपूर्ति श्रृंखला के प्रभावी प्रबंधन से मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि बहुमूल्य धातुओं की कीमतों पर दबाव बने रहने के बावजूद, अगस्त में कोर मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत पर स्थिर रही।सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान इस प्रकार है:
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल: 2.6%
दूसरी तिमाही: 1.8%
तीसरी तिमाही: 1.8%
चौथी तिमाही: 4.0%
2026-27 की पहली तिमाही: 4.5%
इस प्रकार, आरबीआई ने महंगाई पर काबू और आर्थिक वृद्धि में मजबूती को लेकर संतोषजनक संकेत दिए हैं।