त्रिशूर (केरल)
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान पर संसद में चर्चा की मांग को लेकर INDIA गठबंधन के नेता 7 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैठक करेंगे। यह जानकारी कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने दी।
उन्होंने ANI से कहा, "7 अगस्त को दिल्ली में एक बैठक होगी। INDIA गठबंधन के नेता इसमें शामिल होंगे।"
चुनाव आयोग (EC) पर लोकतांत्रिक मूल्यों को "सिस्टमेटिक तरीके से कमजोर करने" का आरोप लगाते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि 5 अगस्त को बेंगलुरु में कांग्रेस चुनाव आयोग की "गंभीर गड़बड़ियों" को उजागर करेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में हाल ही में जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची में कई मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं।
वेणुगोपाल ने कहा,"हम संसद के भीतर और बाहर SIR के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। चुनाव आयोग से तटस्थता की उम्मीद थी, लेकिन वह निष्पक्षता नहीं दिखा रहा है। बिहार की मतदाता सूची से कई नाम हटा दिए गए हैं। इस तरह लोकतंत्र कैसे सही तरीके से चल सकता है? हम 5 अगस्त को बेंगलुरु में चुनाव आयोग की गड़बड़ियों को सामने लाएंगे।"
सूत्रों के अनुसार, 7 अगस्त को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आवास पर गठबंधन नेताओं की रात्रि भोज बैठक भी आयोजित होगी।
बिहार में मतदाता सूची में संशोधन को लेकर पूरे देश में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं।
इसी मुद्दे पर INDIA गठबंधन के कई सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) और नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं, ताकि इस पर विस्तार से बहस हो सके।
मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के लगातार विरोध प्रदर्शन के चलते संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित हो रही है।
बिहार में चल रही संशोधन प्रक्रिया के आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 35 लाख मतदाता या तो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं या अपने पते पर उपलब्ध नहीं हैं। इन आंकड़ों ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इसके अलावा, बड़ी संख्या में 'अज्ञात' और 'असत्यापित' मतदाताओं की पहचान भी बिहार के SIR के दौरान की गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 तक भारत में लगभग 2.04 करोड़ बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिक अवैध रूप से रह रहे थे, जिससे मतदाता सूची की शुद्धता को लेकर चिंताएं और भी बढ़ गई हैं।
1 जनवरी 2024 तक, भारत में 96.88 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, ऐसे में देशव्यापी मतदाता सूची संशोधन का असर आगामी आम चुनावों पर बहुत व्यापक हो सकता है।