मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ : भगवान विष्णु के मुद्दे पर बोले सीजेआई बी.आर. गवई

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-09-2025
I respect all religions: CJI B.R. Gavai on Lord Vishnu issue
I respect all religions: CJI B.R. Gavai on Lord Vishnu issue

 

नई दिल्ली

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने खजुराहो, मध्य प्रदेश के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट लंबी खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना को लेकर दायर याचिका को खारिज करते समय की गई अपनी टिप्पणी पर सोशल मीडिया में उठे विवाद पर गुरुवार को प्रतिक्रिया दी।

सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यह बयान सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लंच के बाद की सुनवाई के दौरान आया।भारत के सॉलिसिटर जनरल (SGI) तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि वह सीजेआई को पिछले 10 वर्षों से जानते हैं और जानते हैं कि सीजेआई सभी धार्मिक स्थलों पर जाते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर बातें बेवजह बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं।

तुषार मेहता ने कहा, “न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन आजकल हर क्रिया की असमान और बढ़ी-चढ़ी सोशल मीडिया प्रतिक्रिया होती है।”वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि वकीलों को हर दिन सोशल मीडिया की इस तरह की गलत प्रस्तुतियों का सामना करना पड़ता है

इस पर सीजेआई गवई ने यह भी जोड़ा कि जब उन्होंने नेपाल से जुड़ा एक बयान दिया था, तब भी सोशल मीडिया पर उसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली थी।पीठ में साथ बैठे जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने भी सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत जानकारी और भ्रामक पोस्टों को लेकर चिंता जताई और इसे "एंटी-सोशल मीडिया" कहा। उन्होंने भी अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत समझा गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय नूली, जिन्होंने याचिकाकर्ता राकेश दलाल की ओर से भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ा मामला प्रस्तुत किया था, उन्होंने स्पष्ट किया कि सीजेआई ने वह टिप्पणी कभी नहीं की जो सोशल मीडिया पर उनके नाम से वायरल हो रही है।

दरअसल, मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह भगवान विष्णु से प्रार्थना करें, क्योंकि अदालत इस मामले में सुनवाई नहीं कर रही है। अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह मामला एक मंदिर से जुड़ा है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है और इस तरह के मामलों में ASI ही उचित प्राधिकरण है।

सोशल मीडिया पर इस टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।