बेहतर होगा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं का मजाक उड़ाने वाली टिप्पणियों से बचा जाए: विहिप

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 18-09-2025
It would be better to avoid comments that mock the beliefs of Hinduism: VHP
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नई दिल्ली

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति को पुनः स्थापित करने की मांग से जुड़ी याचिका पर प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की टिप्पणियों की आलोचना की है। विहिप ने कहा है कि बेहतर होगा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं का मजाक उड़ाने जैसी टिप्पणियों से बचा जाए।

प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिका को ‘प्रचार हित याचिका’ करार देते हुए मंगलवार को खारिज कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, “यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका है... जाइए और स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं, तो प्रार्थना कीजिए और ध्यान लगाइए।”

इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “हमें लगता है कि प्रधान न्यायाधीश की यह मौखिक टिप्पणी हिंदू धर्म की मान्यताओं का अपमान है। ऐसी टिप्पणियों से बचना ही बेहतर होगा।” उन्होंने कहा कि अदालतें न्याय के मंदिर हैं, जिन पर समाज की आस्था और विश्वास निर्भर करता है।

आलोक कुमार ने आगे कहा, “यह हमारा कर्तव्य है कि इस विश्वास को न केवल बनाए रखा जाए, बल्कि इसे और मजबूत किया जाए। खासकर न्यायालय के अंदर अपनी टिप्पणियों में संयम बरतना हम सबका जिम्मा है — चाहे वह वादी हो, वकील हो या न्यायाधीश।”

प्रधान न्यायाधीश गवई ने भी बृहस्पतिवार को अपनी टिप्पणियों के सोशल मीडिया पर आलोचना होने के बाद कहा कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

इस मामले में, याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त भगवान विष्णु की मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करने की मांग की थी। जावरी मंदिर, यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर का हिस्सा है।

न्यायालय ने कहा कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है और एएसआई ही इस पर फैसला करेगा कि मूर्ति को पुनः स्थापित किया जाए या नहीं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “यह एक पुरातात्विक मुद्दा है। यदि आप शैव धर्म के विरोधी नहीं हैं तो वहां जाकर पूजा कर सकते हैं, क्योंकि वहां शिव का एक बड़ा लिंग भी है, जो खजुराहो के सबसे बड़े लिंगों में से एक है।”

दलाल की याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय और एएसआई को कई बार ज्ञापन देने का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें मूर्ति को पुनर्निर्माण या बदलने का अनुरोध किया गया था।