Heat, humidity due to climate change could increase stunting among children in South Asia by 2050: Study
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्म और नमी वाले हालात 2050 तक दक्षिण एशिया के बच्चों में बौनेपन के मामलों को 30 लाख से ज्यादा बढ़ा सकते हैं। एक अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सांता बारबरा के अनुसंधानकर्ताओं ने देखा कि गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक गर्म, नमी वाले हालात में रहने से इस घनी आबादी वाले महाद्वीप में बच्चों की सेहत पर कैसे असर पड़ सकता है।
इस अध्ययन में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति के संकेतक ‘उम्र के हिसाब से कद’ (हाइट फॉर ऐज) का विश्लेषण किया गया। यह किसी की आयु और कद का अनुपात होता है।
गर्भवती महिलाओं को अधिक वजन और हार्मोन संबंधी बदलावों की वजह से गर्मी के प्रकोप के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है।
‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुए परिणामों से पता चलता है कि गर्मी के संपर्क में आने के असर को नमी और खराब कर सकती है।
प्रमुख अध्ययनकर्ता और डॉक्टरेट छात्र केटी मैकमोहन ने कहा, ‘‘गर्भावस्था की शुरुआत में, भ्रूण बहुत कमजोर होता है, जबकि गर्भावस्था के आखिर में, मां अधिक कमजोर होती है।’’
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सांता बारबरा के भूगोल विभाग में प्रोफेसर कैथी बेलिस ने बताया कि तीसरी तिमाही के दौरान गर्मी के प्रभाव को देखने पर पता चला कि गर्मी और आर्द्रता की वजह से सेहत पर असर सिर्फ गर्मी से होने वाले असर से लगभग चार गुना ज्यादा खराब था।
अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि हर एक अतिरिक्त दिन अधिकतम ‘वेट-बल्ब ग्लोब’ तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से अधिक था और छह से 12 महीने बाद जीवित बच्चों के जन्म के मामलों की संख्या कम हो गई।