नई दिल्ली
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में जुटे नौसैनिकों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने नौसैनिकों को भारत की समुद्री शक्ति और राष्ट्रीय गौरव का सच्चा प्रहरी बताया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,“देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में समर्पित सभी वीर नौसैनिकों को भारतीय नौसेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपका साहस, तकनीकी दक्षता और अटल विश्वास ही हमारी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित और अभेद बनाते हैं।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा,“राष्ट्र की पहचान, सम्मान और समुद्री गौरव की रक्षा करने वाले सभी नौसैनिकों को कोटि-कोटि नमन।”
इस अवसर पर भारतीय नौसेना ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम के शंगुमुघम बीच पर अपनी युद्धक क्षमता और समुद्री सामर्थ्य का भव्य प्रदर्शन किया।
यह ऐतिहासिक आयोजन नौसेना की मारक क्षमता, तकनीकी उत्कृष्टता और परिचालन तैयारी को दर्शाता है—जो भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर प्रगति का प्रतीक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं, जिन्हें नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने आमंत्रित किया। राष्ट्रपति के आगमन पर 150-सदस्यीय गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, वरिष्ठ केंद्रीय व राज्य अधिकारी, सैन्य नेतृत्व एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
अग्रिम पंक्ति के नौसैनिक जहाज़ों और पनडुब्बियों की समन्वित गतिशीलता
स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की विशेष भागीदारी
नौसेना के एयर असेट्स और मार्कोस कमांडो की संयुक्त कार्रवाई
समुद्री कैडेट कोर के ‘हॉर्नपाइप डांस’, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नौसैनिकों की तेज़ रफ़्तार ड्रिल ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का समापन नौसेना बैंड द्वारा ‘बीटिंग रिट्रीट’ और सूर्यास्त के समय नौसैनिक जहाज़ों की रोशनी से हुआ।
नौसेना दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक समुद्री जीत—ऑपरेशन ट्राइडेंट—की याद में मनाया जाता है। समय के साथ भारतीय नौसेना एक आधुनिक और शक्तिशाली समुद्री बल बन चुकी है और आत्मनिर्भर भारत के विज़न के तहत “खरीददार नौसेना” से “निर्माता नौसेना” की ओर तेज़ी से अग्रसर है।