राहुल गांधी मानहानि मामले में अधिवक्ता के निधन से सुनवाई टली, अब अगली सुनवाई 17 नवंबर को

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 06-11-2025
Hearing in Rahul Gandhi defamation case postponed due to death of lawyer, next hearing on November 17
Hearing in Rahul Gandhi defamation case postponed due to death of lawyer, next hearing on November 17

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
सुलतानपुर की सांसद-विधायक (एमपी-एमएलए कोर्ट) अदालत में मानहानि मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से संबंधित सुनवाई एक अधिवक्ता के निधन के कारण स्थगित हो गई और अब अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। एक वकील ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

गांधी के वकील काशी प्रसाद शुक्ला ने बताया कि एक अधिवक्ता के निधन के फलस्वरूप आज अदालत में शोक हो जाने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकी तथा अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।
 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता तथा हनुमानगंज निवासी विजय मिश्रा ने राहुल के खिलाफ चार अगस्त 2018 को मानहानि का मुकदमा दायर कराया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि आठ मई 2018 को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान बेंगलुरु में प्रेसवार्ता में राहुल गांधी ने भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री को हत्या का ‘‘आरोपी’’ कहा था।
 
शिकायतकर्ता ने गांधी की उस टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि ईमानदार और स्वच्छ राजनीति में विश्वास करने का दावा करने वाली भाजपा के अध्यक्ष हत्या के एक मामले में ‘‘आरोपी’’ हैं। जब गांधी ने यह टिप्पणी की तब शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
 
हालांकि, राहुल गांधी की टिप्पणी से लगभग चार साल पहले ही मुंबई की एक विशेष केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने 2005 के एक फर्जी मुठभेड़ के मामले में शाह को बरी कर दिया था।
 
मानहानि मामले में इससे पूर्व पांच साल तक चली अदालती कार्रवाई के दौरान राहुल गांधी के पेश न होने पर, दिसंबर 2023 में अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इसके बाद, फरवरी 2024 में राहुल गांधी ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। विशेष न्यायाधीश ने उन्हें 25-25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी।
 
राहुल गांधी ने 26 जुलाई 2024 को अदालत में अपना बयान दर्ज कराते हुए खुद को निर्दोष बताया था और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था। इसके बाद अदालत ने वादी को साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। तब से लगातार गवाह पेश किए जा रहे हैं। अब तक केवल एक गवाह से जिरह पूरी हो सकी है, जबकि दूसरे गवाह से जिरह शुरू हुई है।