'Headline management' won't work, new thinking needed to increase production: Rahul
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को सरकार की विनिर्माण से जुड़ी नीतियों को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि अब ‘पीआर' और 'हैडलाइन मैनेजमेंट' से काम नहीं चलेगा, बल्कि उत्पादन बढ़ाने के लिए एक नई सोच की जरूरत है.
राहुल गांधी ने अपने व्हाट्सऐप चैनल पर पोस्ट किया, "पिछले 11 वर्षों में अगर वास्तव में कुछ ‘मेक इन इंडिया’ बना है तो वो हैं ‘मित्र पूंजीपति’। यह सच्चाई है कि मोदी जी की नीतियां सिर्फ़ अदाणी-अंबानी जैसे अरबपतियों को ही लाभ पहुंचा रही हैं.
उन्होंने दावा किया कि इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे एमएसएमई क्षेत्र को हुआ है, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सबसे ज़्यादा रोज़गार पैदा करता है.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का कहना है, "जीडीपी में विनिर्माण का हिस्सा 25 प्रतिशत करने का वादा था, लेकिन आज यह सिर्फ़ 13 प्रतिशत के आसपास रह गया है। भारत, जो कभी विश्वस्तरीय उत्पाद बना रहा था, अब ज़्यादातर चीनी सामानों की असेंबलिंग करता है."
उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी और जीएसटी जैसी एक के बाद एक गलत नीतियों ने एमएसएमई और हमारी विनिर्माण क्षमताओं को बर्बाद कर दिया.
कांग्रेस नेता ने कहा, "जीएसटी दरें घटाने के बाद भी सरकार के पास इस क्षेत्र को फिर से खड़ा करने का कोई दृष्टिकोण नहीं है। 'पीआर' और 'हैडलाइन मैनेजमेंट' से अब काम नहीं चलने वाला.