नयी दिल्ली
मजबूत वैश्विक रुझानों के अनुरूप मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमतें 5,080 रुपये की भारी बढ़त के साथ 1,12,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गईं।
चालू कैलेंडर वर्ष में इस कीमती धातु की कीमतों में 33,800 रुपये प्रति 10 ग्राम या लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 31 दिसंबर, 2024 को 78,950 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर थी।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना सोमवार को 1,07,670 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
मंगलवार को चांदी की कीमतें भी 2,800 रुपये बढ़कर 1,28,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गईं। पिछले बाजार सत्र में यह 1,26,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
वैश्विक बाजारों में, मंगलवार को सोना 3,659.27 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह कीमती धातु 16.81 डॉलर या 0.46 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3,652.72 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।
व्यापारियों ने कहा कि पिछले सप्ताह अमेरिका में श्रम बाजार के कमजोर आंकड़ों ने मौद्रिक नीति में ढील की संभावना बढ़ा दी है, जिससे निवेशकों का रुझान सोने जैसे सुरक्षित निवेश वाले विकल्पों की ओर बढ़ा है। डॉलर में गिरावट ने सर्राफा कीमतों में तेजी को और बल दिया।
इस बीच, विश्व की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक, 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.29 पर कारोबार कर रहा था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंकों की मज़बूत मांग, एक्सचेंज-ट्रेडेड कोषों में निवेश और ब्याज दरों में कटौती की अटकलों ने कीमती धातुओं में इस रिकॉर्ड तोड़ तेजी को बढ़ावा दिया है।’’
गांधी ने आगे कहा कि सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की लगातार मांग भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण है, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंताओं ने भी इस तेजी में योगदान दिया है।
ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी त्रिवेश डी ने कहा कि वैश्विक बाजारों में सोना 3,659 डॉलर प्रति औंस के आसपास मंडरा रहा है, और नए रिकॉर्ड बना रहा है।
कोटक सिक्योरिटीज़ में जिंस शोध की एवीपी कायनात चैनवाला के अनुसार, बाज़ार प्रतिभागी इस हफ़्ते के अंत में आने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर कड़ी नज़र रखेंगे, जो चौथी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, इससे सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है।