पूर्व DGP वैद का आरोप: लेह हिंसा के पीछे राजनीतिक मकसद, वांगचुक की भूख हड़ताल के बीच की गई योजना

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-09-2025
Former DGP Vaid alleges: Political motives behind Leh violence; the plan was hatched during Wangchuk's hunger strike.
Former DGP Vaid alleges: Political motives behind Leh violence; the plan was hatched during Wangchuk's hunger strike.

 

जम्मू

जम्मू और कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) एस. पी. वैद ने बुधवार को लेह में सक्रियक सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल के दौरान हुई हिंसा पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने दावा किया कि यह हिंसा केवल जनता की नाराजगी का परिणाम नहीं थी, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक मकसद था। वैद ने चार लोगों की मौत और दर्जनों घायल होने के मामले में जवाबदेही तय करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

एएनआई से बातचीत में वैद ने हिंसा की समयबद्धता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “सरकार और लद्दाख के नेतृत्व के बीच वार्ता 6 अक्टूबर को तय थी, फिर भी आज स्थिति हिंसक क्यों हो गई? कौन इससे लाभान्वित हो रहा है? चार लोग मारे गए, दर्जनों घायल हुए, संपत्ति और वाहन जलाए गए। जिम्मेदारी तय करना बेहद जरूरी है।”

पूर्व DGP ने कहा कि यह हिंसा अचानक हुई नाराजगी का परिणाम नहीं थी, बल्कि पूर्व योजना के तहत की गई कार्रवाई थी। उन्होंने सोनम वांगचुक के पहले के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने लद्दाख के संघर्ष की तुलना नेपाल में Gen Z के विरोध और अरब स्प्रिंग से की थी। वैद ने इसे गहन साजिश बताया और कहा कि जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

उन्होंने BJP कार्यालय और सुरक्षा बलों पर लक्षित हमलों का हवाला देते हुए कहा कि हिंसा ठोस योजना के तहत की गई थी। कांग्रेस द्वारा पत्थरबाजी और बंद की अपील को उन्होंने स्थिति का फायदा उठाने वाला बताया।

वैद ने लद्दाख के युवाओं को राजनीतिक ताकतों द्वारा भटका और इस्तेमाल किया गया बताया। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए उन्हें लोकतांत्रिक माध्यमों का उपयोग करना चाहिए।

गृह मंत्रालय के अनुसार, सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से लद्दाख को छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। प्रदर्शन हिंसक रूप ले गया और पुलिस से झड़पें हुईं तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

सरकार लद्दाख उच्च स्तरीय समिति (HPC) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ लगातार संवाद कर रही है। इस प्रक्रिया से अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण बढ़ा, महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण लागू हुआ और भोटी तथा पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला। इसके साथ ही 1800 पदों की भर्ती भी शुरू की गई।

हालांकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्तियों ने इस प्रगति से असंतोष जताते हुए संवाद प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया। HPC की अगली बैठक 6 अक्टूबर को निर्धारित है, जबकि 25 और 26 सितंबर को भी लद्दाख के नेताओं के साथ बैठकें होने वाली हैं।