पटना चिड़ियाघर में सर्दियों के मद्देनजर जानवरों के लिए की गई विशेष व्यवस्था

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-12-2025
Finance Ministry asks banks, financial institutions to provide prompt information on vigilance matters
Finance Ministry asks banks, financial institutions to provide prompt information on vigilance matters

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
पटना चिड़ियाघर प्रशासन ने सर्दियों में जानवरों की देखभाल के लिए ‘ऑयल हीटर’, ‘फ्लोरोसेंट’ और ‘अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) लाइट’ लगाने सहित कई विशेष पहल की हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
 
पटना चिड़ियाघर के नाम से मशहूर संजय गांधी जैविक उद्यान में बड़ी संख्या में जानवर हैं और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने इसे ‘बड़े’ (लार्ज) चिड़ियाघर की श्रेणी में रखा है।
 
पटना चिड़ियाघर के निदेशक हेमंत पाटिल ने कहा, “कड़ाके की सर्दियों में मौसम के अनुरूप जानवरों को ढालना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती होती है।”
 
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से भारतीय वन सेवा (आईएफएस) में आए पाटिल ने बताया कि इस वर्ष मांसाहारी जानवरों के पिंजरों में ‘रॉड हीटर’ और ‘ब्लोअर’ की जगह ‘ऑयल हीटर’ लगाए गए हैं।
 
उन्होंने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि पहले इस्तेमाल किए जाने वाले ब्लोअर और रॉड हीटर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ा देते थे और ऑक्सीजन प्रभावित होती थी, जिसका जानवरों पर नकारात्मक असर पड़ता था।’’
 
पाटिल ने बताया कि इसके विपरीत, ‘ऑयल हीटर’ तापमान को स्वत: नियंत्रित करते हैं और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने में मदद करते हैं।
 
उन्होंने कहा, “सांपों सहित सरीसृप अनुभाग में ट्यूबलाइट और 100 वॉट के बल्ब हटाकर फ्लोरोसेंट और यूवी लाइट लगाई गई हैं, जो तापमान बनाए रखने में अधिक प्रभावी साबित हो रही हैं।”
 
सर्दियों के मद्देनजर की गई अन्य व्यवस्थाओं के बारे में उन्होंने बताया कि विभिन्न पिंजरों में धान का भूसा बिछाया जा रहा है और जानवरों के आहार की मात्रा बढ़ाई गई है। इसके तहत बंदरों को च्यवनप्राश, भालुओं को शहद और गन्ना दिया जा रहा है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और चयापचय बेहतर हो सके।
 
पाटिल ने बताया कि हाथियों को सर्दियों से बचाने के लिए प्रतिदिन तेल मालिश की जाती है। इसके लिए रोजाना लगभग 1.5 से 2 लीटर सरसों के तेल का उपयोग किया जा रहा है।
 
उन्होंने बताया कि इस वर्ष चिड़ियाघर का एक प्रमुख लक्ष्य किसी प्रजाति के अलग-अलग समूह के जानवरों का प्रजनन कराकर उन्हें होने वाली आनुवंशिक बीमारियों से बचाना है। इसके लिए देश के अन्य चिड़ियाघरों से विशेष रूप से नर जानवरों की अदला-बदली पर विचार किया जा रहा है।
 
पाटिल ने कहा कि देश में ‘बड़े’ चिड़ियाघरों की संख्या सीमित है और संयोग से इनमें लगभग समान प्रजातियों के जानवर होते हैं, जिससे इनका प्रजनन कराना संभव हो पाता है।
 
उन्होंने संकेत दिया कि कुछ अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघरों के साथ भी जानवरों के आदान-प्रदान को लेकर बातचीत की जा रही है, जो बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा और संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा।के अधिकारियों के बारे में किसी भी नकारात्मक जानकारी को तुरंत सूचित करें, भले ही वह जानकारी किसी अन्य भूमिका से संबंधित हो।