आईटी अधिनियम के 25 साल बाद भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य चुनौतियां पेश करते हैं: न्यायमूर्ति भारती डांगरे

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-09-2025
Electronic evidence still poses challenges 25 years after IT Act: Justice Bharti Dangre
Electronic evidence still poses challenges 25 years after IT Act: Justice Bharti Dangre

 

पणजी

मुंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने कहा है कि वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के लागू होने के बावजूद भी, देश में अदालतों और जाँच एजेंसियों को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की महत्ता को स्वीकार करने में अब भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जबकि ये साक्ष्य आपराधिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

न्यायमूर्ति डांगरे बुधवार को पणजी के निकट गोवा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और गोवा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा फोरेंसिक साक्ष्यों पर आयोजित कार्यशालाओं की श्रृंखला में उद्घाटन भाषण दे रही थीं।

उन्होंने कहा कि प्राथमिक साक्ष्य और गौण साक्ष्य की पारंपरिक अवधारणाएँ साक्ष्य अधिनियम के तहत अभी पूरी तरह स्थापित भी नहीं हुई थीं, कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम ने इसमें नई जटिलताएँ उत्पन्न कर दीं। उन्होंने बताया कि नई चुनौती उस साक्ष्य को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में न्यायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत करना था।

न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, "इस कानून को लागू हुए लगभग 25 साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी हम यह समझने में संघर्ष कर रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को लंबे समय तक किस तरह सुरक्षित रखा जाए और न्यायिक प्रक्रिया में उनका सही मूल्यांकन कैसे किया जाए।"

उन्होंने कानूनी बिरादरी से अपील की कि अभियोजकों, बचाव पक्ष के वकीलों, अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों सहित सभी को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के कानूनी और व्यावहारिक दोनों पहलुओं पर अधिक गहराई से विचार करना चाहिए।

न्यायमूर्ति डांगरे ने ज़ोर देकर कहा, "25 साल बाद भी यह क्षेत्र जटिलताओं से भरा हुआ है। हमें अब भी ठीक से नहीं पता कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को वास्तव में किस तरह समझा और सराहा जाए। ऐसे साक्ष्यों पर भरोसा करना होगा, लेकिन अत्यंत सावधानी के साथ।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि "किसी मुकदमे की सफलता साक्ष्य की मात्रा पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।"