नई दिल्ली
निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए "वोट चोरी" और "लोकतंत्र की हत्या" जैसे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें गलत, भ्रामक और पूरी तरह से निराधार बताया है। आयोग ने कहा कि यह आरोप न केवल तथ्यहीन हैं, बल्कि मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रियाओं को लेकर जनता में ग़लतफहमी भी फैलाते हैं।
राहुल गांधी ने हाल ही में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगाया था कि वे "वोट चोरों" और "लोकतंत्र की हत्या करने वालों" की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट सुनियोजित तरीके से हटाए गए।
इस पर निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से बिना उचित प्रक्रिया और संबंधित व्यक्ति की जानकारी के हटाया नहीं जा सकता। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन एक पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया है, जिसे मनमाने तरीके से प्रभावित नहीं किया जा सकता।
आयोग ने यह भी जानकारी दी कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में छेड़छाड़ के कुछ प्रयास जरूर सामने आए थे, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। इस मामले में खुद आयोग के अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी और जांच भी शुरू की गई थी।
आयोग ने यह तथ्य भी साझा किया कि 2018 में इस क्षेत्र से भाजपा के सुभाध गुट्टेदार ने जीत हासिल की थी, जबकि 2023 में कांग्रेस के बीआर पाटिल विजयी रहे। यह दिखाता है कि आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है।
आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे जनता को गुमराह करने वाले बयान देने से बचें और लोकतंत्र की संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करें।