गुवाहाटी (असम)
असम में दुर्गा पूजा का त्योहार आमतौर पर रंग-बिरंगे पंडालों, बड़ी भीड़ और ढोल-नगाड़ों के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार प्रदेश में शोक का माहौल है। इसकी वजह है असम के सबसे प्रिय सांस्कृतिक सितारे जुबीन गर्ग का दुखद निधन।
19 सितंबर को सिंगापुर के लाजरूस द्वीप में जुबीन गर्ग की पानी में डूबने से मौत हो गई। असम ही नहीं, पूरे पूर्वोत्तर भारत में उन्हें ‘मिट्टी का लाल’ माना जाता था। उनकी असमय मृत्यु के 12 दिन बाद भी लोग गहरे सदमे और शोक में हैं।
महाष्टमी के दिन गुवाहाटी के पंडालों में जहां हर साल रौशनी, ढोल और भीड़ होती थी, इस बार माहौल सन्नाटा और शांति से भरा रहा।
गुवाहाटी से लेकर जोरहाट तक, जो असम की सांस्कृतिक राजधानी मानी जाती है, इसी तरह का नजारा देखा गया। बुधवार को जोरहाट में जुबीन गर्ग का श्राद्ध समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उनके परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
गुवाहाटी के एक बस कंडक्टर प्रवीन ने कहा,"जुबीन दा की अचानक मृत्यु से मैं टूट गया हूं। मैं मां दुर्गा से अपने लिए नहीं, उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने आया हूं।"
एक अन्य युवा निबिर ने कहा,"मैंने न्याय की प्रार्थना की। जो लोग गोल्डी (जुबीन गर्ग) की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।"
गुवाहाटी के पास कमरकुची गांव में, जहां 23 सितंबर को जुबीन गर्ग का अंतिम संस्कार हुआ था, वहां आज भी उनके प्रशंसकों की भीड़ उमड़ रही है।
लोग फूल अर्पित कर रहे हैं, कुछ रो रहे हैं, तो कई लोग उनके प्रसिद्ध गीत "मायाबिनी" गा रहे हैं—जिसे जुबीन दा ने अपनी मृत्यु के बाद गाए जाने की इच्छा जताई थी। अब यह गीत शोक गीत बन चुका है।
प्रणिता, सोनापुर की एक कॉलेज छात्रा ने कहा,"यह जगह अब समाधि बन गई है। जुबीन दा के जाने के 12 दिन बाद भी यहां उनके चाहने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धांजलि देने आ रहे हैं।"
गुवाहाटी के काहिलीपारा स्थित उनके निवास पर सोमवार को हजारों लोग पहुंचे और जुबीन गर्ग की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग, पिता मोहीनी मोहन बोर्थाकुर, बहन पाल्मी बोर्थाकुर सहित पूरे परिवार को सांत्वना दी।
शहर भर के पूजा पंडालों में उनके चित्र लगे हुए हैं। जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाएं भी आयोजित की गईं।
जोरहाट में, जहां जुबीन गर्ग ने अपने प्रारंभिक वर्ष बिताए थे, पंडालों में उनके चित्र और दीपक सजाए गए हैं। जोरहाट स्टेडियम परिसर में 1 अक्टूबर को एक सार्वजनिक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
यह योजना भी बनाई गई है कि जुबीन गर्ग की अस्थियां (अस्थि कलश) जोरहाट समेत असम के अन्य हिस्सों, नई दिल्ली, कोलकाता और अन्य मेट्रो शहरों में भी ले जाई जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक लोग उन्हें अंतिम विदाई दे सकें।
23 सितंबर को जब जुबीन गर्ग का अंतिम संस्कार हुआ, उस दिन गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम से कमरकुची श्मशान तक की यात्रा में लाखों लोग शामिल हुए। यह दृश्य असम के इतिहास में अभूतपूर्व था।
इस बीच, असम पुलिस ने नॉर्थ ईस्ट इंडिया म्यूज़िक फेस्टिवल, सिंगापुर के आयोजक श्यामकानू महांता और जुबीन गर्ग के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा को गिरफ्तार किया है।
असम सरकार ने एक नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है जो जुबीन गर्ग की मौत की जांच करेगा। उनके बैंडमेट शेखर ज्योति गोस्वामी, आयोजक श्यामकानू महांता और अन्य के खिलाफ कई प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई हैं, जिनमें उन्हें जुबीन गर्ग की असमय मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।